किसी भी प्राणी के जीवन में उसकी माँ का किरदार सबसे ज्यादा अहम होता है। माँ की सूरत में भगवान की सूरत होती है। माँ, साक्षात ईश्वर का ही स्वरूप होती है। इसलिए कहा जाता है चूँकि ईश्वर हर जगह उपस्थित नहीं हो सकता इसलिए उसकी कमी को माँ पूरा करती है। वे बच्चे सबसे बड़े अभागे होते हैं जिन्हें माँ का प्यार, लाड-दुलार नहीं मिलता। और वहीं जिन बच्चों की माँ उनके साथ है उनसे बड़ा भाग्यशाली इस दुनिया भला और कौन हो सकता है। हम सब जानते हैं कि छोटे बच्चों की परवरिश करना कितनी कठिन और चुनौतीपूर्ण जिम्मेदारी है। कम से कम एक बाप से यह उम्मीद नहीं की जा सकती है कि वो एक बच्चे को ऐसे ही पाल लेगा जैसा कि एक माँ पालती है। अपवाद स्वरूप ऐसे बाप भी हो मिल सकते हैं लेकिन माँ की बात ही अलग है। उसकी छवि निराली है। माँ के आँचल में जो खुशियाँ मिलती है वो कहीं और नहीं मिल सकती। माँ के हाथ से बने खाने का स्वाद कहीं और मिलता है क्या? माँ की ममता की छाँव में जो चैन और सुख मिलता है वो और कहीं नहीं मिलता।
माँ के बारे में कहने को इतना कुछ है कि संसार के बुद्धिमान से बुद्धिमान व्यक्ति भी एक साधारण माँ की महिमा का बखान नहीं कर सकता। माँ चाहे जानवरों की हो या मनुष्यों की सबकी भावनाएं एक समान होती हैं है। इंटरनेट पर उपलब्ध एक वीडियो में देखा जा सकता है कि कैसे एक बकरी जब देखती है कि नदी में एक मगरमच्छ उसके बच्चे को खाना चाहता है तो वो तुरंत मगरमच्छ के सामने आ जाती है ताकि उसका बच्चा आसानी से नदी पार कर जाए। मगरमच्छ बिना एक पल गवाए बकरी को अपना शिकार बना लेता है। बकरी ने अपना बलिदान इसलिए दिया क्योंकि वो एक माँ थी। टिटहरी अपने अंडे अक्सर खेतों में देती है। जमीन जोतते वक्त जब किसान, टिटहरी के अंडों की तरफ बढ़ता है तो टिटहरी अपने पंख फैलाकर अपने अंडों को ढक लेती है। उनकी रक्षा करती है। अपने माँ होने का पूरा फर्ज निभाती है। अपने बच्चों और अंडों के लिए मुर्गी और अन्य कमज़ोर जानवरों को साँप जैसे जहरील जीवों से लड़ने के हजारों वीडियों इंटरनेट पर उपलब्ध हैं। एक गाय या भैंस का बच्चा किसी वजह से मर जाए तो इन माँओं को भी रोते हुए देखा जा सकता है। अपने बच्चे के लिए तेज आवाज में रंभाते हुए ये माँएं किसी भी मनुष्य की आँखों में पानी ला देती हैं।
शायद यही वजह है कि एना जार्विस नाम की एक अमेरिकी महिला ने अपनी माँ को मान-सम्मान और माँ के प्रति अपना प्यार प्रदर्शित करने के लिए मदर्स डे मनाने की शुरुआत की। एना अपनी माँ को बहुत प्यार करती थीं। उन्हें अपना आदर्श समझती थी। माँ के निधन के बाद एना ने अपना पूरा जीवन अपनी माँ के लिए समर्पित कर दिया। उन्होंने कभी विवाह नहीं करने का फैसला लिया। लगभग पाँच साल के भीतर ही हर स्टेट यह दिवस मनाए लगा। 1914 में अमेरिकी तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति वुड्रो विल्सन ने इस दिन को राष्ट्रीय अवकाश घोषित कर दिया। इसके बाद मई के दूसरे रविवार को मदर्स डे मनाया जाने लगा। बाद में मई के दूसरे रविवार को मदर्स डे मनाने की परंपरा शुरू हो गई। अमेरिका के साथ-साथ यूरोप और भारत भी मई के दूसरे रविवार को मदर्स डे मनाने की परंपरा पड़ गई।
मातृ दिवस यानि मदर्स डे पर अपने ब्लॉग आर्काइव में से इन दो घटनाओं का जिक्र जरूर करना चाहूँगा। मैं जानता हूँ माँ के त्याग और बलिदान की गाथा हम सब जानते हैं। लेकिन फिर भी मदर्स डे के मौके पर माँ की महिमा के सत्य घटनाओं के बारे में पढ़ा जाए तो हमें अहसास होगा कि माँ के लिए सिर्फ एक ही दिन काफी नहीं होता। मदर्स डे तो रोज मनाना चाहिए। और माँ इसकी हकदार भी तो है।
उत्तर प्रदेश में सुल्तानपुर जिले के गोसाईगंज क्षेत्र के नाटौली गांव में शुक्रवार (15.06.2012) को घटी एक हृदय विदारक घटना को जिसने भी सुना वो दंग रह गया। दरअसल खाना बनाते समय एक चिंगारी से लगी आग में एक मां ने अपने बच्चे को बचाने के लिए अपनी जान की बाजी लगा दी। दिल दहलाने वाली ये घटना उस वक्त हुई जब संतोष नाम के एक शख्स की गर्भवती पत्नी अपने छप्पर से बने घर में खाना बना रही थी। कि अचानक से एक चिंगारी निकली और छप्पर ने आग पकड़ ली। हवा तेज होने के चलते पल भर में ही आग पूरे घर में फैल गई। आनन- फानन में संतोष की पत्नी और मां घर से बाहर आ गए। अचानक संतोष की पत्नी को महसूस हुआ कि उसका बच्चा घर में ही रह गया। बेचारी मां जो ठहरी....बच्चे की खातिर तत्काल ही आग से जलते घर में कूद गई। अभागी मां बच्चे को तो ना बचा सकी। हां....खुद भी जिंदा जलकर जरूर मर गई। **************
ऐसा ही एक और वाकया मेरी आंखों के सामने तैर रहा है। बात उस वक्त की है जब मैं बीएससी द्वितीय वर्ष के एग्जाम दे रहा था। पेपर देकर ही आया था कि तभी एक सड़क से भयानक धुआं उड़ता देखा। पता चला कि एक टैंकर में आग लग गई। थोड़ी देर बाद पता चला कि एक महिला और बच्चा जलकर मर गया। टैंकर की आग में महिला और बच्चा कैसे जलकर मर गया? ये बात समझ नहीं आ रही थी। खैर..! लोग दोड़ते हुए उस दुर्घटना की साइड जा रहे थे। चूंकि मैं भी एग्जाम देकर आया था थोड़ी थका हुआ भी था। सोचा कुछ खा लूं...फिर देखते क्या माजरा है। लेकिन जब ज्यादा लोग उस ओर जाने लगे तो मन आया कि मैं भी चलकर देखता हूं कि आखिर माजरा क्या है। मैं और मेरा एक दोस्त दोनों वहां घटनास्थल पर पहुंच गए। देखा तो वहां एक शख्स बुरी तरह रो रहा था। बार -2 अपनी बीबी और बच्चे का नाम लेकर रो रहा था। लोग चुपचाप खड़े देख रहे थे। कुछ पुलिस वालों ने उसे पकड़ रखा था। खैर थोड़ी देर में हमें भी पता चल गया कि आखिर हुआ क्या..
दरअसल वो व्यक्ति अपनी पत्नी और बच्चे के साथ स्कूटर पर आ रहा था। अचानक उसके पीछे आ रहे एक टैंकर ने उसके स्कूटर पर टक्कर मार दी। टक्कर लगने से उसकी पत्नी और वो स्कूटर से गिर गए। दुर्भाग्य से बच्चा, पत्नी की गोदी से छूटकर टैंकर के अगले हिस्से के नीचे आ गिरा। पत्नी ने जल्दी से उठकर देखा कि उसका बच्चा टैंकर के नीचे पड़ा रो रहा है। और टैंकर में आग लगी है। शायद एकदम से टैंकर में ब्रेक लगाने का कारण ऐसा हुआ हो। पास खड़े लोग चिल्ला पड़े कि हट जाओ। लेकिन जिस मां का बच्चा जलते हुए टैंकर के नीचे रो रहा हो ..वो मां भला किस की सुनती ...वो अभागी मां भी तत्काल अपने बच्चे को बचाने की आस में टैंकर के नीचे चली गई। और उसके बाद तो फिर....उस महिला और उस बच्चे का कंकाल ही मिला था। वो कंकाल वाला दृष्य आज भी मेरी आखों के सामने अक्सर मंडराता है। मैं उस मंजर को शायद ही भूल पाऊँ। बच्चे की केवल खोपड़ी ही बची थी। जबकी महिला की टांगों और हाथो की हड्डियों के साथ उसका सिर का कंकाल बचा था। सबकी जुबां पर उस अभागी मां की कहानी थी। और उस शख्स की बदनसीबी का जिक्र।
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धन्य है तू मां....सच कहता हूं कि जब तू है तो फिर भगवान की इस धरती पर क्या जरूरत !
-----वीरेंद्र सिंह
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