अमेरिका में चीन के पूर्व के राजदूत , हू शी, ने एक बार कहा कि भारत ने बिना एक भी सैनिक भेजे ही न केवल चीन पर अधिकार किया बल्कि लगातार सौ साल तक उसकी संस्कृति पर भारत का कब्जा रहा।"
विश्व प्रसिद्ध जर्मन विद्धान मैक्स मूलर ने कहा कि, " यदि हम संपूर्ण विश्व की खोज करें, ऐसे देश का पता लगाने के लिए जिसे प्रकृति ने सर्वसम्पन्न, शक्तिशाली और सुंदर बनाया है तो मैं भारतवर्ष की ओर संकेत करूँगा यदि मुझसे पूछा जाए कि किस आकाश के नीचे मानवीय मस्तिष्क अपने मुख्य गुणों का विकास किया,जीवन की सबसे बड़ी समस्या पर सबसे अधिक गहाराई के साथ सोच-विचार किया और उनमें से कुछ ऐसे समाचार ढूँढ निकाले जिनकी ओर उन्हें भी ध्यान देना चाहिए जिन्होंने प्लेटो और कांट का अध्ययन किया है तो मैं भारत की तरफ इशारा करूंगा। यदि मैं अपने आप से पूछूँ कि किस साहित्य का आश्रय लेकर हम यूरोपीय, जो कि बहुत कुछ केवल यूनानियों, रोमनों और सेमेटिक जाति के यानी यहूदियों के विचार के साथ-साथ पहले हों, वह सुधारक वस्तु प्राप्त कर सकते हैं, जिसकी कि हमें अपने जीवन को अधिक पूर्ण, अधिक विस्तृत और अधिक व्यापक बनाने के लिए आवश्यकता है, न केवल इस जीवन के लिए अपितु एकदम बदले हुए और अनंत जीवन के लिए तो मैं फिर भारतवर्ष की ओर सेंकत करूँगा।"
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति, जॉर्ज डब्ल्यू बुश, ने एक बार कहा था कि, "हमारे नये प्रतियोगी खड़े हो रहे हैं। अमेरिकी युवाओं को भारतीयों से सावधान रहना चाहिए।"
फ्रेंच विद्धान रोमा रोला ने कहा कि, "यदि इस धरती पर कोई ऐसी जगह है जहाँ शुरुआती दिनों से ही जब मनुष्य ने सपने देखने शुरू किए और उसके सभी सपनों को आश्रय मिला वो जगह भारत ही है।"
76 वें(वर्षगांठ -75 वीं) स्वतंत्रता दिवस के जश्न के अवसर पर थोड़ी देर ठहरकर यह सोचना भी जरूरी है कि आजादी की लड़ाई लड़ने वाले हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने जिस भारत का सपना देखा था क्या आज का भारत वैसा है? आज के भारत में ऐसा क्या है जिस पर गर्व किया जा सकता है और वे कमियाँ कौनसी हैं जिन्हें दूर करना बहुत जरूरी है। अगर अपनी कमियों और खामियों को दूर करते रहेंगे तो इसमें कोई संदेह नहीं कि अतुल्य भारत की यह यात्रा अनवरत ऐसे ही चलती रहेगी। चलती रहेगी।
- वीरेंद्र सिंह
आपकी पोस्ट पढ़ कर मन आनंदित हुआ । क्यों कि ये सच है कि भारत अतुलनीय है । लेकिन जो कमियाँ और खामियाँ हैं वो व्यवस्था में है और व्यवस्था यहाँ के नागरिकों से बनती है ।उनको दूर कर अपने देश को कहाँ से कहाँ पहुँचा सकते हैं । एक सकारात्मक पोस्ट है ।
जवाब देंहटाएंस्वतंत्रता दिवस के अमृत महोत्सव की बधाई और शुभकामनाएँ ।
आपकी यह सार्थक टिप्पणी इस पोस्ट को संपूर्णता प्रदान कर रही है। आपने एकदम सही कहा है। इस महत्वपूर्ण कॉमेंट के लिए आपका बहुत-बहुत आभार। हार्दिक धन्यावाद। सादर।
हटाएंसादर नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कलबुधवार (17-8-22} को "मेरा वतन" (चर्चा अंक-4524) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
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कामिनी सिन्हा
आप का बहुत-बहुत आभार। हार्दिक धन्यवाद।
हटाएंसत्य कहा आपने सकारात्मक एवं सार्थक लेख
जवाब देंहटाएंआपका बहुत-बहुत आभार। सादर धन्यवाद।
हटाएंबहुत बढ़िया प्रस्तुति जानकारी से भरपूर।
जवाब देंहटाएंसादर
आपका बहुत-बहुत आभार आदरणीय अनीता जी। सादर धन्यवाद।
हटाएंविश्व के दार्शनिकों और विद्वानों के विचार अपने देश के लिए पढ़ कर मन आत्म गौरव से भर गया।
जवाब देंहटाएंकाश हम अपनी सैद्धांतिक धरोहर को यूँ ही उच्च आयाम दे पाते।
बहुत सुंदर पोस्ट
आपका बहुत-बहुत आभार कुसुम जी । सादर धन्यवाद।
हटाएंअतुल्य भारत की पर विश्व के महान लोगों के सुंदर विचार ।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सार्थक और महत्वपूर्ण जानकारी भरा आलेख ।
आदरणीय जिज्ञासा जी आपका बहुत-बहुत धन्यवाद। सादर।
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