नया साल दस्तक देने को है। दिमाग़ में अचानक से यह ख्याल आने लगा है कि इस साल कुछ हासिल भी हुआ या ऐसे ही टाइम पास हो गया। फिलहाल अपनी बात कर रहा हूं। बहुत सारे मित्र, पत्रकार से महापत्रकार बन गए। व्यंग्यकार से महाव्यंग्यकार हो गए! कवि से महाकवि और शायर से महाशायर हो लिए। लेकिन अपना क्या? तरक्की तो हमने भी की है लेकिन अलग दिशा में। बोले तो बेकार से महाबेकार हो गए! प्रभु! यह कैसा अन्याय है! देश-दुनिया में लोगों ने इत्ता कुछ किया! अरे कित्ता कुछ किया! ऐसे-ऐसे, कैसे-कैसे, वैसे-वैसे,जैसे-तैसे काम किया और अपन ने फर्जी में अपना क़ीमती समय तमाम किया! अपने सपनों का पूरा होना तो दूर उनका टिकना ही हराम कर दिया! इसलिए साल 2019 भले ही कुछ दिन बात ख़त्म हो, लेकिन अपनी बात यहीं समाप्त करता हूं और साल की बहुत सी गैर- सरकारी (सरकारी उपलब्धियों पर तो दुनियाभर के लोग लिख ही रहे हैं।) उपलब्धियों में कुछ पर मोटा मोटी दो -चार बात रखता हूं!
बात करते हैं उन लोगों की जिनके सिर पर साल 2019 की उपलब्धियों का ताज़ बंधा है! सबसे पहले नेताओं को लेते हैं! वैसे भी कुछ करने की सबसे ज्यादा ज़िम्मेदारी नेताओं के ही मज़बूत कंधों पर होती है। आमतौर पर उन्हें निकम्मा माना जाता है! लेकिन इस साल उन्होंने सबको ग़लत साबित कर दिया। उनकी उपलब्धियों की लिस्ट काफी लंबी है। पूरे साल की बजाए हाल-फिलहाल की उपलब्धियों की बात करें तो देश में इस वक़्त जो हलचल मची हुई है उसका सारा श्रेय नेताओं को ही जाता है। दरअसल CAA और NRC समझ नहीं आ रहा था लेकिन समझना और समझाना जरूरी था। बस तरीका थोड़ा अलग रहा। बहुत सारी पुरानी बसों को मुफ़्त में ही जलवा दिया! ट्रेनों से आम जनता को बहुत परेशानियां थीं लिहाजा उनमें भी आग लगवा दी। जनता को भड़का दिया। जो नहीं भड़के तो उनको हड़का दिया। उन्होंने हर वो काम किया जिनकी उम्मीद केवल नेताओं से ही होती है। नेताओं ने इतना कुछ किया है कि उन पर थोक में 'अफवाह शिरोमणि' या 'दंगा शिरोमणि' जैसे पुरस्कारों से नवाजा जाना चाहिए। प्रतिष्ठित पुरस्कार 'अज्ञानी बाबा', उपयुक्त दावेदारों को सयुंक्त रूप से दिया जा सकता है। अगर वे इंकार करें तो इसे देश का अपमान समझा जाना चाहिए।
नेताओं के बाद जनता की बारी आती है! जब नेताओं ने इतना कुछ किया है तो जनता पीछे क्यों रहती! नेता ने एक कहा तो जनता ने उसे चार समझा लेकिन दूसरे को 8 बताया और अपना रोल धांसू तरीके से निभाया! इस लिहाज से अगर नेताओं को तो जनता को भी कुछ न कुछ तो मिलना ही चाहिए। इसलिए रोल निभाने वाली वाली जनता को नोटिस मिल रहे हैं। कहा जा रहा है कि आपकी उपलब्धियों के चक्कर में कुछ बहुत कुछ जाया हो गया है। इसलिए थोड़ा-थोड़ा योगदान दो ताकि जो जाया हुआ है उसे फिर से पाया जा सके। योगदानकर्ता छात्र-छात्राओं को इस झंझट से बचा लिया गया है।
इस तरह आप देख सकते हैं कि गैर सरकारी प्रयासों से भी बहुत कुछ हासिल किया गया है। इसलिए दोस्तों लिखने को तो बहुत कुछ है। लेकिन थोड़े को ही अधिक समझना बुद्धिमानी होती है। आप सभी को नए वर्ष 2020 की ढेरों शुभकामनाएं/मंगलकामनाएं। जय हिंद।
पढ़कर अच्छा लगा। मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
ReplyDeleteसभ्य और शालीन प्रतिक्रियाओं का हमेशा स्वागत है। आलोचना करने का आपका अधिकार भी यहाँ सुरक्षित है। आपकी सलाह पर भी विचार किया जाएगा। इस वेबसाइट पर आपको क्या अच्छा या बुरा लगा और क्या पढ़ना चाहते हैं बता सकते हैं। इस वेबसाइट को और बेहतर बनाने के लिए बेहिचक अपने सुझाव दे सकते हैं। आपकी अनमोल प्रतिक्रियाओं के लिए आपको अग्रिम धन्यवाद और शुभकामनाएँ।