सासू माँ बोली!
देखो बेटी, पति परमेश्वर होता है!
अपने पति का कहना मानना ही
पत्नी का धर्म होता है!
सुनते ही बहू तपाक से बोली,
नहीं माँजी!
अब ऐसा कहाँ होता है ?
अब पति परमेश्वर नहीं,
बाकी सब होता है!
बदली हुई परिस्तिथियों में
पति का स्थान कुछ इस तरह से होता है!
जैसे ये देश है
वैसे ही हमारा ये घर है!
जिस तरह देश का मालिक राष्ट्रपति होता है
उसी तरह घर का मालिक पति होता है!
राष्ट्रपति केवल नाम का ही मालिक होता है!
देश का असली कर्ता-धर्ता तो प्रधानमंत्री होता है!
जिसे सलाह देने के लिए उसका अपना
एक 'निज़ी मंत्रिमंडल' होता है।
कुछ दूसरे दलों का भी बाहरी समर्थन होता है।
चूँकि वह बहुत ही शक्तिशाली होता है
इसलिए जो समर्थन नहीं देते,
प्रधानमंत्री उनके लिए मुश्किलें पैदा करता है!
इधर
पति भी केवल नाम का ही मालिक होता है!
और
घर में पत्नी का स्थान
भारत के प्रधानमंत्री की तरह ही होता है!
पत्नी को सलाह देने के लिए उसका भी अपना
एक 'निज़ी मंत्रिमंडल' होता है!
जिसमें उसकी माँ का स्थान मुख्य होता है!
और कुछ पारिवारिक सदस्यों के साथ ही
उसके रिश्तेदारों का भी बाहर से समर्थन होता है!
इस तरह पत्नी भी बहुत शक्तिशाली होती है!
पति के घर वालों पर भारी पड़ने वाली होती है!
और जो उसका समर्थन नहीं करते
उनका वो जीना हराम करने वाली होती है!
जिस तरह प्रधानमंत्री की सलाह पर
राष्ट्रपति को चलना होता है।
ठीक उसी तरह घर में पत्नी की सलाह पर
पति को चलना पड़ता है!
हाँ..कभी -२ विशेष परिस्तिथियों में
भारतीय राष्ट्रपति की तरह
पति को भी पत्नी को न कहने का,
उसे किसी मसले पर पुनर्विचार करने का,
उसकी माँगो में कुछ संशोधन करने को कहने का
या फिर उन पर थोड़े समय तक,
कोई कार्रवाई न करने जैसे कुछ अधिकार हैं!
लेकिन ये केवल नाम के ही अधिकार हैं!
व्यवहारिक दृष्टि से बेकार हैं!
अधिकतर मामलों में राष्ट्रपति की तरह
पति को भी सभी माँगों को मानना पड़ता है!
और
पत्नी ही सर्वोपरि है,
ये स्वीकारना पड़ता है!
राष्ट्रपति और पति के अधिकारों में
कुछ महत्वपूर्ण अंतर भी होते हैं।
जैसे राष्ट्रपति,
प्रधानमंत्री को पर्याप्त समर्थन के अभाव में
तुरंत हटा देता है।
लेकिन पति को ऐसा कोई अधिकार नहीं।
पत्नी को किसी का समर्थन न भी हो,
तो भी उससे पीछा छुड़ाना आसान नहीं!
प्रधानमंत्री को'
राष्ट्रपति को पीटने या उसके सामने
चिल्लाने का अधिकार नहीं है।
लेकिन पत्नियों के मामले में
इस अधिकार को लेकर थोड़ी भ्रम की स्थिति है!
एक ओर जहाँ कुछ पत्नियाँ इस अधिकार का
खुल्लम-खुल्ला प्रयोग करती हैं
तो दूसरी ओर बहुत सी पत्नियों को
अपने पतियों को पीटने में घोर आपत्ति है!
लेकिन पतियों पर चिल्लाने के अधिकार का
वे भरपूर इस्तेमाल करती हैं!
माँजी!
इससे आगे बस इतना ही कहूँगी!
कि अब मैं भी इस घर की प्रधानमंत्री बनकर,
अपने निज़ी मंत्रिमंडल की ताक़त के दम पर,
यह घर चलाऊँगी!
पति से जो चाहूँगी वही करवाऊँगी!
उसे अपनी उँगलियों पर नचाऊँगी!
हालाँकि घर को सही से चलाने के लिए
मुझे आपके समर्थन की ज़रुरत होगी!
लेकिन माँजी!
मैं आपकी कोई शर्त नहीं मान सकती हूँ।
आप तो जानती हैं कि आपके समर्थन
के बिना भी मैं यह घर चला सकती हूँ।
लेकिन आपके लिए अति कष्टकारी
मुश्किलें खड़ी कर सकती हूँ ।
इसलिए कोई भी निर्णय लेने से पहले
अच्छी तरह सोच लेना!
वरना बाद में मुझे दोष मत देना!
उम्मीद है अब आप समझ गई होंगी!
मैं तो बहुत थकी हुई हूँ!
शायद आप भी थक गई होंगी!
इसलिए कृपया अब आप यहाँ से चली जाएँ!
और मेरे लिए एक कप चाय ज़रूर भिजवाएँ!
बहुत बढ़िया :)
ReplyDeleteधन्यवाद सर।
Deleteब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 29/03/2019 की बुलेटिन, " ईश्वर, मनुष्य, जन्म, मृत्यु और मोबाइल लगी हुई सेल्फ़ी स्टिक “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteशिवम् जी ब्लॉग पर स्वागत है आपका। आपको धन्यवाद। आगे भी आते रहिएगा। सादर।
Deleteबहुत ख़ूब ! अच्छा हुआ कि मांजी को मार्गदर्शक बन कर सिर्फ़ चाय भिजवाने का ही दायित्व मिला वरना झाड़ू-बर्तन करने का भी मिल सकता था. वैसे उस दायित्व को निभाने के लिए राष्ट्रपति के घरेलू संस्करण - पतिदेव तो हैं ही.
ReplyDeleteसही कहा आपने सर। ब्लॉग पर आपका स्वागत है। आगे भी आते रहिएगा। सादर।
Deleteवाह बहुत सुन्दर ¡¡
ReplyDeleteतंज भी कटाक्ष भी।
जबरदस्त कोड़ी लगाई है।
जी, आपका धन्यवाद। सादर अभिवादन।
Deleteबहुत ही बढ़िया । खूब खरी खरी लिख डाली :-)
ReplyDeleteमीना जी धन्यवाद। सादर अभिवादन।
Delete
ReplyDeleteजी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना 3 अप्रैल 2019 के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
जी नमस्ते। आपका हार्दिक धन्यवाद।
Deleteबढ़िया।
ReplyDeleteजी आपका धन्यवाद। सादर।
Deleteवाह !
ReplyDeleteअनीता जी धन्यवाद। सादर।
Deleteवाह बहुत सुंदर 👌
ReplyDeleteसादर धन्यवाद अनुराधा जी। आगे भी आती रहिएगा।
Deleteबाखूबी लिखा है
ReplyDeleteधन्यवाद संजय जी।
Deleteवाह!!!
ReplyDeleteबहुत सटीक... ये बहुएं बेचारगी से कब प्रधानमंत्री पद तक पहुंच गयी !!!!
इसी को कहते हैं नारी सब पे भारी
जी, सही कहा आपने। धन्यवाद।
Deleteबहुत ही सुंदर कटाक्ष, विरेन्द्र जी। मां गए आपकी लेखनी को। मैंने शायद ये आपकी पहली ही पोस्ट पढ़ी हैं। समाया नुसार बाकी भी जरूर पढूंगी।
ReplyDeleteजी, धन्यवाद। आपका स्वागत है।
Deleteवाह वाह ...
ReplyDeleteएक जबरदस्त व्यंग भारत देश में सटीक ... यहाँ की राजनीति पे स्पष्ट टीका ...
धन्यवाद सर।
Delete😅😅👌👌 भगवान बचाये इस वाचाल बुद्धिजीवी बहू से।शुक्र है कि मांजी को ये संवाद सुनकर चक्कर नहीं आये।😅🙏
ReplyDeleteइस बहुमूल्य टिप्पणी के लिए आपका बहुत-बहुत आभार। आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएँ।
Deleteसभ्य और शालीन प्रतिक्रियाओं का हमेशा स्वागत है। आलोचना करने का आपका अधिकार भी यहाँ सुरक्षित है। आपकी सलाह पर भी विचार किया जाएगा। इस वेबसाइट पर आपको क्या अच्छा या बुरा लगा और क्या पढ़ना चाहते हैं बता सकते हैं। इस वेबसाइट को और बेहतर बनाने के लिए बेहिचक अपने सुझाव दे सकते हैं। आपकी अनमोल प्रतिक्रियाओं के लिए आपको अग्रिम धन्यवाद और शुभकामनाएँ।