जब भी मैं लोगों को उनकी उचित-अनुचित माँगों को पूरा करने के लिए प्रदर्शन करते देखता हूं तो मेरे अंदर का सोया आंदोलनकारी उस नाग की तरह फुफकार उठता है जिसकी पूँछ पर किसी ने जानबूझकर पैर रख दिया हो। इसकी वजह यह है कि एक आंदोनल मुझे भी करना था लेकिन 24 घंटों में से 20 घंटे तो फेसबुक, ट्वीटर, कू ,यूट्यूब, ब्लॉग वगैरहा पर ख़र्च हे जाते हैं। अब बाकी बचे 4 घंटों में बाकी बचे काम करूँ या आंदोलन ? इसलिए आंदोलन कर रहे लोगों को देख कर मेरी आँखों से वो भयानक जलधारा बहती कि सारे पड़ोसी हाथ जोड़कर मेरे सामने खड़े होकर प्रार्थना करते हैं कि बस कर पगले! अब बहायगा क्या? जनहित में मुझे अपने आँसुओं पर सब्र के बाँध का ब्रेक लगाना पड़ता है। लेकिन ये आंदोलनकारी! महज चंद लोगों के हित के लिए बेचारे ये लोग अपना सारा सुख-चैन छोड़कर सड़क पर उतर आते हैं! माना कि खाने में उन्हें गाजर का हलवा और बादाम पाक मिलता है! फ्री मालिश भी होती है! पीने को भी मिलती है! और भी बहुत कुछ मिलता है! लेकिन अपने घर की सूखी रोटी के त्याग को कम नहीं माना जा सकता!
जहां तक मेरे आंदोलन का सवाल है तो यह संपूर्ण मानवजाति के लिए है! बेहोश करने वाली बात यह है कि अपने आंदोलन की फाइल पर मैं स्वयं ही पालथी मारकर बैठा हूँ और बिना दूध की चाय पीते हुए इन्टरनेट पर खर्च हुए जा रहा हूँ! आंदोलन शुरु कर दिया होता तो आंदोलन का नेता होने के नाते टीवी चैनलों को इंटरव्यू दे रहा होता! खीर खाता, दारू पीता, दूध से कुल्ला करता! दो चार चेलों को अपनी सेवा में रखता! जब तक माँग पूरी नहीं मानी जाती फुल मौज करता!
अब सवाल उठता है कि किस बात का आंदोलन और किसके खिलाफ ? आंदोलन उम्र बढ़ाने को लेकर होगा और भगवान के ख़िलाफ होगा! इसमें हैरान-परेशान होने वाली बात नहीं है! ये कोई वेतन-भत्ते बढ़ाने या किसी कानून को वापस लेने का आंदोलन नहीं है। यह आंदोलन उम्र बढ़ाने को लेकर है। अब उम्र तो केवल भगवान ही बढ़़ा सकते हैं। इसलिए आंदोलन भगवान के ख़िलाफ़ होगा। और प्रचंड आंदोलन होगा! चूँकि दो-चार साल में तो भगवान दर्शन भी नहीं देते। इसलिए लंबा आंदोलन करना होगा। आंदोलन कितना लंबा चलेगा उस पर अभी कुछ कहा नहीं जा सकता! लेकिन मुझे पूरा विश्वास है कि हमारा आंदोलन पूरी तरह सफल रहेगा। अगर आधी बात भी मान ली गईं तो समझो बात बन गई!
अगर किसी के मन में यह सवाल है कि भई उम्र बढ़ाने के लिए आंदोलन की कौन जरूरत आन पड़ी तो इसका जवाब यह है कि आम इंसान की उम्र तकरीबन 65 साल से लेकर 85-90 साल तक होती है। चंद भाग्यशाली ही ऐसे होते हैं जो 100 वर्ष या और 10-15 साल ज्यादा जी जाते हैं। आज से 100 साल पहले तक तो यह उम्र काफी थी। लेकिन पिछले 100 सालों में हालात बदल गए हैं। 20वीं सदी तो जैसे-तैसे कट गई लेकिन 21वीं सदी में इतनी उम्र से काम नहीं चल सकता। बिल्कुल वैसे ही जैसे पिछली सदी में मिलने वाले वेतन-भत्तों से आज काम नहीं चल सकता था। आज की जरूरतें अलग हैं इसलिए वेतन-भत्ते और अन्य सुविधाओं में निरंतर बढ़ोतरी हुई है और होती रहेगी। चूँकि वेतन-भत्तों को बढ़ाने वाला डिपार्टमंट पृथ्वीलोक में ही है उसके कर्मचारियों का निवास भी यहीं है तो ख़ास दिक्कत नहीं होती । कभी-कभी दफ्तर में तालाबंदी और कामबंदी रूपी बह्मास्त्र चला दिया जाता है और बात बन जाती है! कभी-कभी तो उम्मीद से ज्यादा मिल जाता है! वहीं उम्र बढ़ाने का डिपार्टमंट भगवान के पास है और भगवान जी कुंभकर्ण वाली नींद में सो रहे हैं। इसलिए उन्हें जगाने के लिए आंदोलन ही एकमात्र रास्ता है।
एक सवाल यह भी उठ सकता है कि भाई इस 21वीं सदी में इतनी उम्र से काम क्यों नहीं चल सकता? इसका जवाब है कि यह इंटरनेट का जमाना है। इंटरनेट पर बहुत सारे काम है। मसलन कम से कम 50 साल तो केवल सोशल मीडिया पर वीडियो देखने के लिए ही चाहिए। इतने ही साल यूट्यूब और फेसबुक के लिए चाहिए। ट्वीटर और कू जैसे प्लेटफॉर्म के लिए अलग से 50 साल की उम्र का बोनस चाहिए। बाकी बचे हजारों सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों और न्यूज पोर्टलों के लिए अलग से 100 साल की आवश्यकता है! अब बचे पढ़ाई-लिखाई, शादी-ब्याह, नौकरी वगैरहा जैसे मुख्य काम तो इनके लिए पहले की ही तरह 60-65 साल काफी हैं। इस तरह कुलमिलाकर कम से कम 310-315 साल की उम्र की आवश्यकता है। लेकिन हम 300 में एडजस्ट कर लेगें। अगर भगवान को इसमें कोई आपत्ति है तो..एक बार आमने-सामने बैठकर बात कर लेते हैं। जितनी उम्र पर सहमति बन जाएगी उसे मान लेंगे।
हमारा वादा है कि आंदोलन एकदम साफ-सुथरा और शांतिपूर्ण होगा। किसी भी तरह की हिंसा नहीं होगी। पूजा स्थलों पर कोई तोड़ -फोड़ नहीं होगी! कोई भगवान की सत्ता को चुनौती नहीं देगा। जब तक उम्र बढ़ाए जाने की माँग नहीं मानी जाती तब तक कोई काम नहीं करेगा। केवल एक ही नारा रहेगा; उम्र बढ़ाओ भगवान वरना नहीं करेंगे काम!
- वीरेंद्र सिंह
बहुत ही सटीक, विरेन्द्र भाई। सोशल मीडिया पर एक्टिव रहना है तो उम्र तो बढ़ानी ही पड़ेगी।
ReplyDeleteज्योति जी आपका बहुत-बहुत आभार।
Deleteसुन्दर और सार्थक
ReplyDeleteमनोज जी आपका बहुत-बहुत आभार। सादर।
Deleteवाह भई वाह वीरेन्द्र जी । चेहरे पर मुस्कान आ गई आपके इस लेख को पढ़कर ।
ReplyDeleteआपका बहुत-बहुत धन्यवाद जितेंद्र जी। सादर।
Deleteबहुत बहुत सुंदर सार्थक लेख ।
ReplyDeleteआपका बहुत-बहुत धन्यवाद आलोक जी। सादर।
Deleteअच्छा कटाक्ष
ReplyDeleteशानदार सृजन
बधाई
आपका बहुत-बहुत धन्यवाद ज्योति खरे जी। सादर।
ReplyDeleteशानदार लेख बहुत ही बेहतरीन और प्रशंसनीय प्रस्तुति...
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद संजय जी। सादर।
ReplyDeleteवाह! सटीक कटाक्ष..हा हा..
ReplyDeleteसादर
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