टूट रहा है कोरोना का कहर लेकिन लापरवाही अभी भी चरम पर
7 अप्रैल 2021 को कोरोना के मामलों ने एक नया रिकॉर्ड स्थापित किया है। एक दिन में सवा लाख से ज्यादा ( पिछले 24 घंटों में एक लाख 26 हजार 789 नये केस) नये कोरोना मामले दर्ज किए गए हैं। इस दौरान कोरोना से मरने वालों की संख्या 685 रही। अपने देश में अब तक कोरोना से 1 लाख 66 हजार से ज्यादा लोग अपनी जान से हाथ धो बैठे हैं। कोरोना के चलते देशभर में लगे लॉकडाउन की यादें आज भी ताजा हैं। अंदेशा यह है कि अगर यही सिलसिला चलता रहा तो एक बार फिर से घरों में कैद होना पड़ सकता है। देश के कई राज्यों में आंशिक या रात्रिकालीन लॉकडाउन पहले ही लग चुका है। मध्य प्रदेश में शनिवार और रविवार के कर्फ्यू की घोषणा हो चुकी है। यूपी के कुछ शहरों में नाइट कर्फ्यू की घोषणा हो चुकी है। जल्दी ही बाकी शहरों में भी लग जाएगा। वहीं कोरोना पर चर्चा के लिए 8 अप्रैल को पीएम मोदी ने मुख्यमंत्रियों की बैठक भी बुलाई है।
वास्तविक आँकड़े ज्यादा हो सकते हैं!
टीवी समाचारों से लेकर अन्य समाचार माध्यमों में कोरोना पर सरकारी आँकड़ों के आधार पर डिबेट होती है। लेकिन बहुत से लोगों का मानना है कि वास्तविक आँकड़े ज्यादा भी हो सकते हैं। आए दिन फेसबुक और व्हाट्सअप जैसे सोशिल मीडिया प्लेटफॉर्म पर डॉक्टरों की आपसी बातचीत के ऑडियो वायरल होते हैं। ऐसा ही एक वायरल ऑडियो मैंने भी सुना है जिसमें एक डॉक्टप यह कहते सुना जा सकता है कि हालात बहुत खराब हैं। मरने वालों के परिजनों का विलाप सुनकर डॉक्टर डिप्रेसन में जाने की बात कहते सुनाई पड़ते हैं। डॉक्टर यह भी कहता है कि 45 साल से ज्यादा आपकी उम्र है तो टीका जरूर लगवाएँ। बकौल डॉक्टर ..टीका लगवाने वालों की कोरोना से मौत नहीं हो रही है। डॉक्टर और भी बहुत सी बातें कहते हैं।
कोरोना पीड़ितो का हाल होता है बुरा!
भगवान करे कि किसी को भी कोरोना न हो क्योंकि कोरोना के इलाज के लिए तमाम तरह की मुसीबतें झेलनी पड़ती हैं। खबरों से पता चलता है कि कईं जगहों पर मरीजों की संख्या के पास ऑक्सीजन नहीं है तो कईं जगह बेड कम पड़ जा रह हैं। मरीजों की संख्या के हिसाब से वेंटीलेटरों की कमी है। कोरोना का इलाज अगर सरकारी अस्पताल में हो जाए तो राहत की बात है। लेकिन प्राइवेट हस्पतालों में कोरोना के इलाज में लाखों रुपयों तक का खर्च आ रहा है। कई ऐसे मामले सामने आए हैं जब तमाम प्रयासों के बाद भी कोरोना पीड़ितों को बचाया नहीं जा सका है। उनके परिजनों का हाल समझा जा सकता है। जो मरीज बच जाते हैं उनको लंबे समय तक कोरोना के साइड इफैक्ट के साथ जीना पड़ता है। कम सुनाई देना, बार-बार अस्पताल जाने की आवश्कता पड़ना जैसे साइड इफैक्ट देखने को मिलते हैं। मरीज के डिप्रेशन में जाने का खतरा भी होता है! घर की आर्थिक हालत खराब हो जाती है। पीड़ित की वजह से बाकी परिजनों को भी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।
महानगरों को छोड़ने लगे हैं दूसरे राज्यों से आए लोग!
महामारी का सबसे ज्यादा असर समाज के निचले तबके पर ही पड़ता है। जीविका की तलाश में दिल्ली और मुंबई जैसे महानगरों का रुख करने वाले लोगों के पलायन की खबरें एक बार फिर से सुर्खियाँ बटोर रही हैं। नौकरियाँ जाने या काम-धंधा बंद होने की वजह से लोग एक बार फिर से अपने घरों की ओर रुख कर रहे हैं। पलायन करने वाले लोग नहीं चाहते कि वे फिर से उन मुश्किल हालातों का सामना करें जिनका सामना उन्होंने पिछले लॉकडाउन में किया था।
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क्यो हुए ऐसे हालात?
कोरोना की पहली लहर के दौरान सबको बताया गया था और सब जान भी गए थे कि कोरोना से बचने का एकमात्र उपाय है दो गज की दूरी, फेसमास्क का उपयोग और समय -समय पर अपने हाथों को साबुन से धोना या सैनेटाइज करना। बहुत से लोगों ने इन बातों पर अमल किया । लेकिन ऐसे लोगों की संख्या भी कम नहीं है जिन्होंने इन बातों पर अमल नहीं किया। कोरोना प्रोटोकॉल का उल्लंघन करने वाले आपको हर जगह मिल जाएँगे। इस लापरवाही का नतीजा यह हुआ है कि कोरोना के मामले भी अब हर जगह सामने आ रहे हैं। इस पोस्ट में एकदम 7 अप्रैल 2021 को दिल्ली के कनॉट प्लेस और नोएडा से ली गई तस्वीरें यह बताने के लिए काफी है कि कोरोना लोगों को गले लगाने पर क्यों ऊतारू है! नेता भी पीछे नहीं हैं। कई राज्यों में चुनाव प्रचार के दौरान भारी भीड़ जुट रही है। जाहिर है कि ये लापरवाही कोरोना के प्रसार के लिए पर्याप्त है।
नेहरू प्लेस में मास्क नीचे कर सामान बेचते हुए |
नोएडा में समोसे के ठेले पर बिना मास्क लगाए लोग |
30-35 साल से ऊपर के सभी लोगों को कोरोना का टीका लगे!
देश में अभी तक 45 साल या उससे ज्यादा उम्र वाले व्यक्तियों का कोरोना वैक्सीन दी जा रही है। हालाँकि अब यह माँग ज़ोर पकड़ रही है कि कोरोना का टीका सभी को लगाया जाना चाहिए। महाराष्ट्र ने माँग की है कि कोरोना टीकाकरण में 25 साल तक के लोगों को भी शामिल किया जाए। काँग्रेस और आम आदमी पार्टी कोरोना वैक्सीन के मुद्दे पर लगातार सरकार पर हमलावर हैं। सरकार भी जवाब दे रही है। सरकार पर सवाल उठाया जा रहा है कि दूसरे देशों को वैक्सीन देने से पहले अपने देश के लोगों को कोरोना वैक्सीन क्यों नहीं दी जा रही है। हालाँकि केंद्रीय स्वास्थय मंत्री हर्षवर्धन ने कहा कि वैक्सीन की कमी नहीं है। उन्होंने इस मुद्दे पर राजनीति न करने की सलाह दी है। कोरोना पर नियंत्रण के लिए जरूरी है कि सरकार वैक्सीनेशन कार्यक्रम में 30-35 साल की आयु वर्ग वाले लोगों को भी शामिल करे। बता दूँ कि अब तक देशभर में 9 करोड़ से ज्यादा लोगों को कोरोना की वैक्सीन की डोज दी जा चुकी है। काँग्रेस, आम आदमी पार्टी और महाराष्ट्र सरकार के ट्वीट के साथ-साथ डॉ. हर्षवर्धन का ट्वीट आप यहाँ देख सकते हैं।
अपनी जिम्मेदारी से पल्ला नहीं झाड़ सकती आम जनता!
नेहरू प्लेस में बिना मास्क लगाए दुकनदार! |
बहुत से लोग कोरोना के ऐसे हालात के लिए सरकार को ही ज़िम्मेदार मान रहे हैं। अगर हालात और बिगड़ते हैं तो शायद सरकार की और ज्यादा आलोचना हो। लेकिन ध्यान देने वाली बात यह है कि फेसमास्क का इस्तेमाल करने की जिम्मेदारी, दो गज की दूरी और हाथ धोते रहने की जिम्मेदारी तो हम पर ही है। तो क्यों न वैक्सीन मिलने तक फेसमास्क का इस्तेमाल करें। दो गज की दूरी का पालन करे। और अपने हाथों को सैनेटाइज करते रहें। हमें स्वीकारना होगा कि कोरोना की दूसरी लहर केवल और केवल हमारी लापरवाही की वजह से इतना कहर ढा रही है! पहली लहर जब दम तोड़ने ही वाली थी तो लोग इतने लापरवाह हो गए कि उन्होंने कोरोना प्रोटोकॉल की हर तरह से धज्जियाँ उड़ाई। परिणाम सबके सामने है। दु:ख की बात यह है कि इतने पर भी लोग मानने को तैयार नहीं है। अगर कोरोना के शिकंजे में आए तो सरकार का कुछ बिगड़े या न बिगड़े लेकिन कोरोना के शिकंजे में फंसे व्यक्ति का हाल बिगड़ना तय है। इसलिए बेहतर हो कि लोग अपनी जिम्मेदारी समझे और कोरोना की चपेट में आने से बचने के लिए ऐहतियात बरतते रहें। याद रखिए कोरोना पर लापरवाही आत्मघाती साबित हो सकती है!
विशेष: किसी भी तरह की अफवाह को जन्म देना इस आलेख का मकसद नहीं है। पाठकों से अनुरोध है कि कोरना पर ज्यादा, बेहतर और विश्वसनीय जानकारी के लिए अपने विवेक से अन्य माध्यमों का भी सहारा लें।
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एक अनुरोध
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बहुत ही महत्वपूर्ण विषय पर सार्थक लेखन, काश कि लोग संजीदगी से इस बीमारी से बचने के उपायों पर ध्यान दें और उचित सावधानी बरतें । समसामयिक विषयों पर आपके सुंदर लेखन के लिए आपको हार्दिक शुभकामनाएं ।
ReplyDeleteबिल्कुल सही लिखा है आपने।
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद शिवम जी। सादर।
Deleteइस संदर्भ में विभिन्न स्थानों पर उपलब्ध तथ्य एवं समंक विश्वसनीय नहीं है । अतः जनता को दोषी ठहराना उचित नहीं है । यह सम्पूर्ण विषय अत्यंत जटिल है तथा इसके अनेक महत्वपूर्ण पक्ष विभिन्न विचार-विमर्शों में उपेक्षित रहते आए हैं । इस परिप्रेक्ष्य में अब तक के अधिकांश लेख एवं विमर्श सतही ही रहे हैं और सतही विमर्श वास्तविक समाधान की ओर नहीं ले जा सकते । जब तक प्रामाणिक सूचनाएं उपलब्ध न हों, कुछ भी कहने से पूर्व भलीभांति मनन कर लेना ही समय की मांग है ।
ReplyDeleteआपकी बात अपनी जगह सही है। आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।
Deleteअपने पैरों पर खुद ही कुल्हाड़ी मारने का परिणाम है । चिंतनीय विमर्श ।
ReplyDeleteआपने बिल्कुल सही कहा। आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।
Deleteकोरोना ने सबका हाल बिगाड़ कर रख दिया है .हमारी सरकारें भी कुछ कम जिम्मेदार नहीं है .यदि ये जनता के हित के बारे में सोचे तो बहुत कुछ काम कर सकती हैं .
ReplyDeleteहिन्दीकुंज,Hindi Website/Literary Web Patrika
बहुमू्लय टिप्पणी के लिए आपका हार्दिक आभार। आगे भी आते रहिएगा।
Deleteबहुत सुन्दर लेख । मैं भी 15 दिन इसके पाश मैं करवटें बदलता रहा । पर अब ठीक हूँ । आपके अन्य लेख धीरे धीरे पढूंगा ।
ReplyDeleteआलोक जी अपना ख्याल रखिएगा। उम्मीद है अब आपको स्वस्थ होंगे। टिप्पणी के लिए आभार।
DeleteWaa it is awesome. Thanks for sharing.
ReplyDeletestubborn quotes
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आपका बहुत-बहुत धनयवाद उमेश जी। आगे भी आते रहिएगा।
ReplyDeleteसभ्य और शालीन प्रतिक्रियाओं का हमेशा स्वागत है। आलोचना करने का आपका अधिकार भी यहाँ सुरक्षित है। आपकी सलाह पर भी विचार किया जाएगा। इस वेबसाइट पर आपको क्या अच्छा या बुरा लगा और क्या पढ़ना चाहते हैं बता सकते हैं। इस वेबसाइट को और बेहतर बनाने के लिए बेहिचक अपने सुझाव दे सकते हैं। आपकी अनमोल प्रतिक्रियाओं के लिए आपको अग्रिम धन्यवाद और शुभकामनाएँ।