100 करोड़ रुपये महीने की अतिरिक्त आय वाले मंत्री जी की आलोचना न करें बल्कि उनकी मज़बरी समझें! उनसे प्रेरणा लें!
एक मंत्री जी ख़बरों में हैं! कहा जा रहा कि मंत्री जी ने आदेश दिया था कि अतिरिक्त कमाई का टार्गेट ऊँचा करो! 21वीं सदी के हिसाब से मंत्री जी ने अतिरिक्त कमाई के टार्गेट को 100 करोड़ रुपये प्रति माह रखने पर जोर दिया था! उन्होंने वाकायदा सिद्ध करके बताया था कि ये ऊँचा टार्गेट कैसे हासिल कर सकते हैं! अब उनकी आलोचना शुरु हो गई है। मेरा मानना है कि उनकी अलोचना से कुछ हासिल न होगा! उन्हें अपना प्रेरणास्रोत बनाने से बहुत कुछ हासिल हो सकता है! वैसे आम जनता को भी यह सीखना चाहिए कि अतिरिक्त कमाई का ऊँचा टार्गेट कैसे सेट किया जाए और उसे कैसे हासिल किया जाए? मंत्री जी से तरक्की की टिप्स तो ले ही सकते हैं! मंत्री जी अनुभवी हैं। वो भविष्यदर्शी भी हैं। उन्हें पता है कि जीवन में आगे बढ़ने के लिए बहुत पापड़ बेलने पड़ते हैं। बड़े-बड़े बंगले और और चमचमाती गाड़ियाँ केवल लाखों के वेतनमान से नहीं मिल जाते! अतिरिक्त कमाई करनी पड़ती है! उस कमाई का टार्गेट ऊंचा रखना पड़ता है! मंत्री जी जानते हैं कि आजकल 40-50 करोड़ में कुछ न होता! सबका ख्याल रखना पड़ता है! मिल-बाँटकर खाने का रिवाज है! फिर आज मंत्री हैं। कल रहें न रहें। मगर ख़र्चे तो रहेंगे! वहीं आने वालीं पीढ़ियों के लिए कुछ न किया तो वे भी बुरा मान मान जाएँगी! गालियाँ देकर कहा करेंगी कि हमारा दादा-परदादा तो मंत्री रहा था मगर हमारे लिए स्विटजरलैंड के बैंकों में कैश, अमेरिका में बंगले, मुंबई में 200-300 फ्लैट, दो-चार हजार महँगी गाड़ियाँ और चाँद पर 20-25 घरों का जुगाड़ करके भी न गया? मंत्री क्या झक मारने के लिए बना था?
"दिक्कत ये भी है कि मंत्रीजी चाहकर भी 100 करोड़ रुपये महीने से कम नहीं कमा सकते! उन्हें भी तो चार मंत्रियों के बीच बैठना पड़ता है!"
"100 करोड़ महीने की कमाई वाले मंत्री जी से यह सीख मिलती है कि लक्ष्य ऊँचा रखें! भलाई और मलाई, दोनों इसी में हैं!"
ऊँचे लक्ष्य रखने की बात तो बड़े-बड़े मोटिवेशनल गुरु भी करते हैं। ऊपर से रिश्तेदारों, दोस्तों और सगे संबंधियों का दबाव होता है। फलाँ नेता ने तो इतने कमा लिए? 10-20 करोड़ तो फलाँ मंत्रीजी के कुर्ते की जेब में पड़े रहते हैं! ऐसे डायलॉगों के निरंतर दबाव का जवाब देना मंत्रीजी की नैतिक जिम्मेदारी होती है! एक मजबूरी यह भी है कि एक मंत्री को भी अन्य चार मंत्रियों के बीच बैठना पड़ता है! लिहाजा 100 करोड़ रुपये महीने की अतिरिक्त कमाई का टार्गेट फिक्स करने के पीछे की मजबूरी को समझा जा सकता है! बहुत सोच-विचार करने पर मंत्रीजी को अहसास हुआ होगा कि भलाई और मलाई 100 करोड़ रुपये महीने की ऊपरी कमाई में ही हैं! 100 बातों की एक बात यह भी है कि 21वीं सदी में अगर कोई मंत्री 100 करोड़ रुपये महीने की अतिरिक्त आय न कर सके तो फिर मंत्री क्या झक मारने के लिए बना है?
"100 करोड़ महीने पर इतना बवाल ठीक नहीं! 21वीं सदी में महीनेभर में 100 करोड़ भी न कमा सके तो मंत्री क्या झक मारने के लिए बनें हैं!"
वहीं जो मंंत्री अभी तक अतिरिक्त कमाई के निचले स्तर पर ही अटके पड़े हैं वे भी 100 करोड़ वाले मंत्री जी से प्रेरणा लें और आत्मविश्वास के साथ अपने लक्ष्य रिवाइज करें! क्रिकेट में जब कोई खिलाड़ी शतक मारता है तो बाकी खिलाड़ी दोहरा शतक मारने का इरादा रख मैदान में उतरतो हैं! इसी तर्ज पर बाकी मंत्रियों को अपनी अतिरिक्त आय का टार्गेट कम से कम 150 से 200 करोड़ रुपये महीने या उससे भी अधिक रखकर अपनी योग्यता का परिचय देना चाहिए! जो सांसद या विधायक किसी वजह से मंत्री न बन सके हों उन्हें भी आगे बढ़ने का पूरा हक़ है इसलिए महीने में 100 करोड़ की अतिरिक्त कमाई करने वाले मंत्रीजी को गुरु मान लें और एकलव्य की तरह अपनी हैसियत और ज़रूरत के मुताबिक प्रतिमाह अतिरिक्त आय का टार्गेट फिक्स कर उसे हासिल करें! तरक्की करें! नौकरी-पेशा भी अतिरिक्त आय की बहती गंगा में हाथ धो सकते हैं! जहाँ तक आम जनता की बात है तो उसे तो फिलहाल सिर्फ कमाई की चिंता है क्योंकि कोरोना काल में ठप हुई कमाई अभी तक शुरू नहीं हो सकी है लिहाजा आम जनता की प्राथमिकता में अतिरिक्त आय नहीं है! केवल आय है!
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- वीरेंद्र सिंह
घूसखोरी और कमीशनखोरी पर बहुत बढ़िया कटाक्ष तथा व्यंग किया है आपने ।सादर शुभकामनाएं ।
ReplyDeleteआपका बहुत-बहुत हार्दिक आभार। सादर।
Deleteबढियाँ कटाक्ष
ReplyDeleteआपका बहुत-बहुत हार्दिक आभार। सादर।
Deleteयह व्यंग्य भी है और कटु सत्य भी ।
ReplyDeleteबहुत बहुत बढ़िया
ReplyDeleteआप बिल्कुल सही कह रहे ... सौ टका सच्ची बात ... इतना खर्च कर मंत्री बने अब कमायें भी न ..ये तो कोई बात नहीं हुई ...
ReplyDeleteज़बर्दस्त कटाक्ष ... बढ़िया लिखा है ...
आपका बहुत-बहुत हार्दिक आभार। सादर।
Delete100 करोड़ महीने की कमाई वाले मंत्री जी से यह सीख मिलती है कि लक्ष्य ऊँचा रखें! भलाई और मलाई, दोनों इसी में हैं!"
ReplyDeleteबहुत ही सटीक
स्वागत है आपका ब्लॉग पर। आपका बहुत-बहुत आभार।
Deleteआपका बहुत-बुहत हार्दिक आभार। मेरे लिए यह सम्मान की बात है। शुभकामनाएँ। सादर।
ReplyDeleteकड़वा सच
ReplyDelete"100 करोड़ महीने पर इतना बवाल ठीक नहीं! 21वीं सदी में महीनेभर में 100 करोड़ भी न कमा सके तो मंत्री क्या झक मारने के लिए बनें हैं!"
ReplyDeleteगहन कटाक्ष ।
क्या खूब कहा है ।
ReplyDelete100 करोड़ महीने पर इतना बवाल ठीक नहीं! 21वीं सदी में महीनेभर में 100 करोड़ भी न कमा सके तो मंत्री क्या झक मारने के लिए बनें हैं!"
ReplyDeleteकटु सत्य पर आधारित लाजवाब व्यंग...।
वर्तमान का कटुसत्य।
ReplyDeleteगज़ब का लिखा है मंत्रियों की भाषा में।
सादर
करार व्यंग ... जोर का तमाचा ... पर बेशर्म लोग़ हैं ये ...
ReplyDeleteआपका बहुत-बहुत आभार सर। सादर।
Deleteबहुत ही करारा कटाक्ष।
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