संत वैलेंटाइन की कृपा से बसंत बहार में झूमने का पहला मौक़ा युवाओं के नाम!
बसंत की युवास्था का आनंद भी युवास्था वाले लड़के-लड़कियों यानी नई उम्र की नई फसल ने अपने लिए रिजर्व कर रखा है। वैसे है सबके लिए..लेकिन बसंत बहार में पगलाने - हकलाने- नाचने-गाने का पहला अवसर इन्हीं के हाथ लगता है। क्यों लगता है? वैलेंनटाइंस डे की कृपा से! अब बच्चे भी वैलेंटाइंस डे जानते हैं! इटली के संत वैलेंटाइन की याद में 14 फरवरी को मनाया जाना वाला संत दिवस। प्रेमी जन उन्हें प्रेम का समर्थक मानते हैं इसलिए उनकी पुण्यतिथि पर वैलेंटाइंस डे यानी प्रेम पृकटीकरण दिवस धूमधाम(कभी-कभी कुट-कुटाकर या पिटकर) मनाते हैं। यूरोप वाले संत दिवस भी मनाते हैं। वैलेंटाइंस डे भले ही एक दिन आता हो लेकिन चोंच लड़ाने को आतुर परिंदे 7 दिन पहले से ही रोज़ डे, प्रपोज डे, चॉकलेट डे, टेडी डे, प्रॉमिस डे, हग डे, किस डे के नाम पर फुल ऑन रोमांच, रोमांस और मस्ती में डूब जाते हैं। फिर आता है मुख्य दिवस यानी वेलेंटाइन डे। मतलब प्रेम की स्वीकारोक्ति का दिन। अगर आप किसी से प्यार करते हैं तो इस दिन बेझिझक उससे कह सकते हैं। यह अंग्रेज़ों की देन है। लिहाजा वैलेंटाइंस डे किस तरह मनाया जाए यह उन्होंने ही तय किया है।
वैलेंटाइंस डे का दिन गुलाबी-गुलाबी ! |
देसी छोरे-छोरियां हिंदुस्तानी तड़का मारकर अपने विधि-विधान स्वंय तय करते हैं। वैलेंटाइंस डे वास्तव में मौज़-मस्ती वाला अति रोमांसकारी दिन होता है! उस दिन किसी भी बंधन को मानना, स्वीकारना या शर्माना पाप होता है। इश्क का भूत खाते-पीते-मस्ती एक साथ करते हुए देखा जाता है। मूवी देखता है। सावधानीपूर्वक! थोड़ा सा ध्यान यह रखना होता कि कहीं संस्कृति रक्षक दल के सिपाहियों की नजर न पड़ जाए नहीं तो मुर्गा बनना पड़ सकता है। कई बार सबके सामने पिटाई हो जाती है। सबसे ज्यादा डर इस बात का रहता है कि संस्कारियों की टोली उन्हें भाई-बहन न घोषित कर दे या कहीं वहीं फेरे न करा दे। वेलेंटाइंस डे है, कोई रक्षा बंधन डे और मैरिज डे तो है नहीं। वैसे भी भाई-बहन बनने की तुक नहीं और मैरिज डे होता नहीं। वेलेंटाइंस डे के पहले 7 दिन और बाद के दिनों में मेरिज डे कभी नहीं होता। वेलेंटाइंस डे के बाद स्लेप डे यानी थप्पड़ डे, किक डे, परफ्यूम डे, फ्लर्टिंग डे, कंफेशन डे, ब्रेक अप डे और भी न जाने कौन-कौन डे लिस्ट में होते हैं।
मैेरिज डे क्यों नहीं होता ये एक शोध का विषय है। चॉकलेट खिला दी। गुलाब दे दिया। टेडी बेयर दिया। फ्लर्ट किया, प्रॉमिस किया,, गले लगाया, किस किया, प्रपोज किया, वेलेंटाइन वाले दिन साथ-साथ घूमे-फिरे, सारे अरमां पूरे कर लिये, एक दूसरे को दिल के आकार वाले लाल-गुलाबी गुब्बारे थमा दिए, साथ में खाया-पिया। संस्कारी योद्धाओं से भी पिटाई खाई और इज़हार-ए-इश्क भी किया। लेकिन सारा कार्यक्रम ब्रेकअप डे तक ही चलता है। मैेरिज डे नहीं आता। वेलेंटाइंस डे के अगले दिन थप्पड़ डे होता है। ये किसलिए होता होगा? दोनों ही एक दूसरे को थप्पड़ लगा सकते हैं या फिर लड़की को ही विशेषाधिकार होता है यह भी स्पष्ट नहीं है। मुझे लगता है कि यह लड़की(लड़के के लिए भी हो सकता है) के लिए होता होगा कि अगर लड़का पसंद नहीं तो उसे थप्पड़ मार के जता सके कि चल भाग अगली बार दिख न जाइयो! और अगर लड़का फिर भी न माने तो फिर किक डे आता है ताकि लड़की किक मारकर लड़के को भगा सके। जो लड़का थप्पड खाकर न भाग हो वो किक पड़ने पर मान जाएगा ये बात तो वैसे भी गले नहीं उतरती! इसलिए अब परफ्यूम डे आता है। परफ्यूम की खुशबू से वातावरण सेट किया जाता है। पटरी से उतरी अपनी गाड़ी को वापस पटरी पर कैसे लाया जाता है नौजवान पीढ़ी बहुत अच्छे से जानती है। थप्पड़ और किक खाने के बाद परफ्यूम से जो माहौल बनाया था उसके लाभ की आस में फ्लर्ट की कार्यवाही शुरू होती है।
अब दो बातें होती है। लड़की मानेगी या नहीं मानेगी! लड़की नहीं मानेंगी तो उसी दिन ब्रेक अप। लड़की मान जाती है तो अगले दिन कंफेशन कर लेती है और उससे अगले दिन ब्रेकअप। अब सवाल ये उठता है कि जब मान गई तो ब्रेक अप क्यों? सीधा सा उत्तर है! कंफेशन के बाद तो मैरिज की बात आती है। और मैरिज डे होता नहीं है! यानी वैलेंटाइंस डे प्रोग्राम में बस इतना ही होता है! रोज़ डे से शुरू होता है और ब्रेकअप पर ख़त्म होता है। वैसे अगर मैरिज डे होता भी तो क्या मैरिज होती! अब होती या नहीं होती उन पर छोड़ देते हैं जो इसी दिन गुटरगूँ करते हैं। ऋतुराज के स्नेह की नर्म धूप में खूब इतराते हैं। हर्षित मन से उम्मीदों के साथ बसंत ऋतु का स्वागत करते हैं! आप भी करिए। बसंत -बहार की बयार में बहने-बहकने का अधिकार सबका है! इसलिए बहना-बहकना शुरू कर दीजिए! बसंत-बहार का स्वागत करिए।
-वीरेंद्र सिंह
सादर नमस्कार ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (9-2-21) को "मिला कनिष्ठा अंगुली, होते हैं प्रस्ताव"(चर्चा अंक- 3972) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
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कामिनी सिन्हा
आपका बहुत-बहुत आभार और कोटि-कोटि धन्यवाद कामिनी जी। यह जानकर सच में बहुत अच्छा लगा।
Deleteबहुत ही यथार्थ पूर्ण, हास्य व्यंग्य का भरापूरा मिश्रण..सुन्दर सृजन..
ReplyDeleteधन्यवाद जिज्ञासा जी। आपका बहुत-बहुत आभार।
DeleteVery Nice JI! Virender Singh Ji
ReplyDeleteभारतीय साहित्य एवं संस्कृति
संजय जी.. ब्लॉग पर स्वागत है आपका। आगे भी आते रहिएगा।
Deleteसटीक व्यगंय ।
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद कुसुम जी।
Deleteव्यंग्य पढ़े कृपया।
ReplyDeleteजी।
Deleteआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 10 फरवरी 2021 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteआपका बहुत-बहुत आभार और कोटि-कोटि धन्यवाद पम्मी(तृप्ति)जी। यह जानकर सच में बहुत ख़ुशी हुई।
ReplyDeleteबहुत सुंदर हास्य
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद मनोज जी।
Deleteहास्य में डूबी आपकी रचना मुस्कान दे गई सुबह सुबह..
ReplyDeleteबहुत अच्छा लिखा है आपने..
प्रणाम
बहुत-बहुत धन्यवाद आपका। आपको शुभकामनाएँ।
ReplyDeleteहास्य रस में डूबा बहुत ही सटीक व्यंग।
ReplyDeleteवैलेंटाइन डे पर मेरा लेख https://www.jyotidehliwal.com/2017/02/Valentine-day-mnanewale-aur-virodh-krnewale.html जरूर पढ़िएगा।
आपका बहुत-बहुत धन्यवाद। आपको शुभकामनाएँ।
Deleteवैलेंटाइंस डे भले ही एक दिन आता हो लेकिन चोंच लड़ाने को आतुर परिंदे 7 दिन पहले से ही रोज़ डे, प्रपोज डे, चॉकलेट डे, टेडी डे, प्रॉमिस डे, हग डे, किस डे के नाम पर फुल ऑन रोमांच, रोमांस और मस्ती में डूब जाते हैं। 😄😄😄
ReplyDeleteकरीने से रचा। निश्चय यह रचना रचनाकार के सूक्ष्म निरीक्षण का प्रमाण है।सादर।
सधु जी उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार। सादर।
ReplyDeleteओंकार जी आपका हार्दिक धन्यवाद।
ReplyDeleteपूरा चिटठा खोला है वेलेंटाइन दिवस के इतिहास का ...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ...
धन्यवाद सर। कोशिश की थी कुछ मज़ेदार लिखा जाए। अब कामयाब हुआ या नहीं ये पाठक ही बता सकते हैं।
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