तालिबान से RSS की तुलना बेतुकी बात।
जिस संदर्भ में RSS की तुलना तालिबान से की जा रही है!
भारत के पड़ोसी देश अफगानिस्तान में कुख्यात आतंकी संगठन तालिबान ने इस देश की बागडोर अपने हाथों में ले ली है। तालिबान के खौफ़ से लाखों लोगों को अफगानिस्तान छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा है। तालिबान (जैसा कि हम सब जानते हैं) एक बेरहम और बेहद खतरनाक आतंकी संगठन है। ये वे कट्टरपंथी हैं जिनके लिए सब कुछ इस्लाम है। बाकी धर्मों के मानने वालों को काफ़िर समझ कर या तो उनकी हत्या कर दी जाती है या उन्हें तब तक प्रताड़ित किया जाता है जब तक वो इस्लाम न कबूल कर लें। अगर वे इस्लाम न भी कबूल करें तो भी ग़ैर-मुस्लिमों को इनके रहमो-करम पर ज़िंदा रहना पड़ता है। ज़िंदगी नरक से भी बदतर हो जाती है। यही वजह है कि तालिबान के सत्ता में आने की भनक मात्र से ही लाखों लोगों ने अफ़गानिस्तान छोड़ने में अपनी भलाई समझी। अगर नहीं भागते तो तालिबान के हाथों में पढ़ने और उनके हाथों भयानक यातनाएं झेलने का ख़तरा था। हत्या भी हो सकती थी। हालांकि इनके जुल्मों के सबसे ज्यादा शिकार ऐसे मुस्लिम रहें हैं जो इनके हिसाब से नहीं चलते। गैर-मुस्लिमों पर तो तालिबान कोई रहम दिखाता ही नहीं है। आज अफगानिस्तान की सत्ता तालिबानियों के हाथ है। इसलिए भारत सरकार भी दुविधा में है कि आख़िर इस कट्टर इस्लामी संगठन के साथ कैसे आगे बढ़ा जाए? इसके साथ संबंध रखे भी जाए या नहीं? भारत की अपनी चिंताएँ हैं। पाकिस्तान की गंदी नज़र हमेशा कश्मीर पर लगी है और तालिबान, पाकिस्तान की मदद से ही आज अफगानिस्तान में सत्ता में है। बाकी बातों के साथ भारत को यह भी आशंका है कि कहीं तालिबानी आतंकवादी कश्मीर में भारत के लिए चुनौती पेश न करें? इसलिए भारत फूँक-फूँक कर कदम बड़ा रहा है।
जावेद अख्तर( ट्वीटर प्रोफाइल स्क्रीन शॉट) |
जावेद अख्तर का बयान और बीजेपी द्वारा उनका विरोध
इस सबके बीच भारत में जाने-माने गीतकार जावेद अख्तर ने आरएसएस(RSS) की तुलना तालिबान से कर एक विवाद को जन्म दे दिया। एक इन्टरव्यू में जावेद अख़्तर ने कहा कि आरएसएस का समर्थन करने वालों की मानसिकता भी तालिबानियों से जैसी है। उन्होंने आरएसएस के समर्थकों से कहा कि "आप जिनका समर्थन कर रहे हैं उनमें और तालिबान में क्या अँतर है।" इंटरव्यू में जावेद अख्तर ने विहिप और बजरंग दल जैसे हिंदूवादी संगठनों और तालिबानी के मकसद को एक बताया। जाहिर है कि जावेद अख्तर के इस बयान पर बीजेपी भड़क गई। बीजेपी समर्थकों ने उनके घर के सामने प्रदर्शन किए और उनसे माफ़ी की मांग की। महाराष्ट्र कांग्रेंस के साथ मिलकर गठबंधन सरकार चला रही शिवसेना ने भी जावेद अख्तर के इस बयान का विरोध किया। उधर कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने कहा कि महिलाओं के मामले में आरएसएस और तालिबान के विचार एक समान है। अपने ट्ववीट में दिग्वजिय सिंह ने क्या कहा नीचे उनके ट्वीट की स्क्रीनशॉट को आप स्वयं पढ़ लें!
RSS एक देशभक्त संगठन है!
दिग्विजय जी , भारत में महिलाओं की मिली स्वतंत्रता आपको ग़लत साबित करती है!
जहाँ तक दिग्विजय सिंह जी के ट्वीट का सवाल है तो ट्वीट से साफ़ पता चलता है कि तालिबानी विचारधारा महिलाओं की क्षमता में भरोसा नहीं करती। वहीं भागवत जी के ट्वीट में एक सलाह है जिसे मानना कतई जरूरी नहीं है। मोदी जी की सरकार में महिलाएँ मंत्री हैं। स्वर्गीय सुष्मा स्वराज मंत्री थीं। और मौजूदा मंत्रीमंडल में स्मृति इरानी जैसी महिलाओं की क्षमता को भला कौन नकार सकता है। संघ से जुड़े लोग महिलाओं के सम्मान को लेकर हमेशा सजग रहे हैं जबकि तालिबानी महिला को केवल भोग की वस्तु से ज्यादा कुछ नहीं समझते। भारत में कितनी महिलाओं ने आरएसएस की विचारधारा से तंग आकर हिंदुस्तान छोड़ने की बात कही है? एक ने भी नहीं कही! वहीं दूसरी तरफ़ आज अफ़गानिस्तान में लाखों महिलाएँ तालिबान के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रही हैं। अफगानी महिलाएँ जानती है कि ये लोग उन्हें न पढ़ने देंगे न बढ़ने देंगे। न जीने देंगे न घर से बाहर निकलने देंगे। अफगानिस्तान में महिलाओँ को आज अपना कोई भविष्य नज़र नहीं आता। इसके उल्टें भारत में महिलाओं को हर तरह की स्वतंत्रता है। जरा सोचिए कि अगर आरएसएस या RSS की विचारधारा तालिबानियों जैसी होती तो क्या भारतीय महिलाओं को इतने अधिकार मिले होते? सच तो यह है कि एक भी भारतीय महिला इस बात से सहमत नहीं होगी कि आरएसएस उसकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता में बाधा है। लिहाजा दिग्विजय सिंह का RSS की तुलना महिलाओं से करने वाला ट्वीट बेतुका है। दिग्विजय सिंह भी यह जानते हैं लेकिन राजनीतिक कारणों से स्वीकारेंगे नहीं।
सार्थक और सटीक लेख ।
ReplyDeleteआपका बहुत-बहुत धन्यवाद।सादर।
Deleteआपकी लिखी रचना सोमवार. 13 सितंबर 2021 को
ReplyDeleteपांच लिंकों का आनंद पर... साझा की गई है
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
संगीता स्वरूप
जानकर बहुत खुशी हुई। एक बार फिर से आपका बहुत-बहुत आभार।
Deleteआदरणीय वीरेन्द्र भैय्या
ReplyDeleteइतिहास बताता है है पिछले 5000 साल से अफगान
सम्राटों की कब्रगाह बना हुआ है, शापित है अफगानिस्तान
और मुसलमानों का इतिहास भी देखिए..हर बादशाह का कत्ल
उनके बेटों ने ही किया है...मुसलमान खुद अपनों सगे के नहीं हुए
वे प्रजा के क्या होंगे..आतंकवाद की गोली जाति नहीं पहचानती
अच्छा आलेख..चलते चलते कहती हूँ राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ वाकई देशप्रेमी संघ है
यहां वंशवाद नहीं चलता, समर्पण की भावना चलती है
सादर..
वाकई राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में समर्पण की भावना है। आतंकवाद की गोली जाती नहीं पहचानती। सही लिखा है आपने।आपकी मूल्यवान टिप्पणी के लिए आपका बहुत-बहुत आभार।सादर।
Deleteहर मसले का राजनैतिक रंग कितना संवेदनहीन लगता है।
ReplyDeleteसादर।
जी बिलकुल! आपका बहुत-बहुत आभार।
Deleteऐसे सनसनीखेज तड़के से बरबस हँसी ही फूट पड़ती है । क्या है ये ? क्या कहा जाए ...
ReplyDeleteसही कहा है आपने। आपका बहुत-बहुत आभार और धन्यवाद।
Deleteवीरेंद्र भाई,संघ की तुलना तालिबान से करना न केवल बेमानी है बल्कि कमज़ोर बौद्धिक क्षमता का भी परिचायक है। लेकिन इन बड़बोले नेताओ को कौन समझाए??
ReplyDeleteआपने सही कहा है! आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।
DeleteRSS एक देशभक्त संगठन है!
ReplyDeleteबिल्कुल सही कहा जो लोग इस संघ को नहीं जानते शायद वे देश को भी ठीक से न जान पाये हों। देश में रहते हुए RSS को ना समझे तो तालिबानियों के साथ जाकर तालिबान को समझ आयें फिर तुलनात्मक रवैया अपनाएं
बढ़िया सलाह दी है आपने।आपका बहुत-बहुत आभार।
Deleteसंघ की तुलना नहीं की जा सकती , संघ है तभी हम गौरवान्वित हैं
ReplyDeleteआपका बहुत-बहुत धन्यवाद मनोज जी।सादर।
Deleteबहुत सार्थक प्रश्न करता आलेख, निजी विरोधों के चलते ऐसे लोग एक निंदनीय कार्य कर रहे हैं।
ReplyDeleteजिज्ञासा जी, आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।सादर।
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