बचपन के दिन भूलाए नहीं भूलते। आप कितना भी प्रयास कर लें लेकिन बचपन की यादें रह-रहकर ताज़ा होती रहती हैं। कहानियाँ वैसे तो बड़े और बुजुर्ग ही सुनाया करते हैं। लेकिन थोड़े से बड़े होने पर बच्चे खुद एक दूसरे को अपने तरीके से कहानियाँ सुनाते हैं या दिलचस्प सवाल-जवाब करते हैं। जो भी करते हैं उसका मुख्य उद्देश्य दूसरों पर अपनी चतुराई का सिक्का जमाना होता था। एक दिलचस्प कहानी और कुछ सवाल-जवाब मैं आपके लिए लाया हूं। उम्मीद है आपको पसंद आएँगे।
1-
पहली कहानी कुछ इस तरह है। एक था आटु। एक था बाटु और एक था मैं(कहानी सुनाने वाला)। हम तीनों एक दिन जंगल में घूमने गए। रास्ते में हमें भुट्टे का पेड़ दिखाई दिया। आटु ने भी एक भुट्टा तोड़ा। बाटु ने भी और मैंने भी। हम भुट्टे लेकर आगे बढ़ गए। रास्ते में हमें जलती हुई आग मिली। हम तीनों ने अपने-अपने भूट्टे सेंकने शुरु किए। आटु और बाटु के भुट्टे तो बढ़िया से सिक गए लेकिन मेरा भुट्टा जल गया। इसके बाद आटु ने अपना आधा भुट्टा मुझे दिया। बाटु ने भी अपना आधा भुट्टा मुझे दे दिया। इसे प्रकार मेरे पास एक भुट्टा हो गया लेकिन उन दोनों के पास केवल आधा-आधा भुट्टा ही रह गया।
2-
एक बच्चा अपने साथियों से पूछता है कि बताओ अगर आपके घर डीआजी साहब आए तो क्या करोगे?
बच्चा जवाब देगा कि उनका स्वागत करेंगे। उनको पानी और चाय भी पिलाएँगे। पहला बच्चा फिर से पूछता है अच्छा बताओ कि अगर आपके घर पीआईजी साहब आए तो क्या करोगॆ? यहां पूछने वाला बच्चा सुअर के बारे में पूछता है। अब अगर बच्चा जानता है कि पीआईजी(Pig) सुअर है तो कहेगा कि हम पीआजी साहब को डंडा मारकर भगाएँगे। लेकिन कई बच्चों को पता नहीं होता इसलिए वो कह देते थे कि हम पीआजी साहब का स्वागत भी उसी तरह करेंगे जैसे डीआजी साहब का। अब पूछने वाला बच्चा ऐसे बच्चों की ज़बरदस्त हँसी उड़ाता।
3-
इसमें अपने को चतुर समझने वाला बच्चा पूछता कि बताओ एक घर में तारतुक्का और मारमुक्का नाम के दो भाई रहते थे। एक दिन तारतुक्का नाम का भाई किसी काम से बाहर चला गया। तो बताओ घर में कौन सा भाई बचा? अब जिन बच्चों से पहली बार यह सवाल पूछा जाता तो बेचारे फँस जाते। वे बड़े जोश में कहते कि मारमुक्का बचा। पूछने वाला बच्चा तुरंत उसे एक मुक्का मार देता था। लेकिन कभी-कभी ऐसा भी होता था कि जिससे सवाल पूछा जाता था वो पूछने वाले का भी उस्ताद होता। सवाल पूछते वक्त बड़ा मासूम बन जाता लेकिन सवाल पूछते ही उत्तर देने की बजाय पूछने वाले को ही एक मुक्का जमा देता।
4-
एक खेल कुछ इस तरह होता कि इसमें एक बच्चा कहता कि अपने मन में कुछ रुपये सोच लो। फिर तुम मेरी कुछ बातें मान लेना तो मैं यह बता दूँगा कि तुम्हारे पास कितने रुपये बचे। दूसरा बच्चा मन ही मन एक संख्या यानी कुछ रुपये सोच लेता। पहला बच्चा कहता कि जितने रुपये तुमने अपने लिए रखे हैं उतने ही अपने भाई के रख लो। दूसरा बच्चा ऐसा ही करता। पहला बच्चा फिर कहता है कि इसमें 10 रुपये मेरे भी जोड़ लो। दूसरा बच्चा 10 रुपये पहले बच्चे के भी जोड़ लेता। पहला बच्चा कहता कि अब इन सारे रुपयों को जोड़ लो। दूसरे बच्चे ने सारे रुपये जोड़ लिए। पहला बच्चा कहता कि अब इनमें से आधे देवी को दान कर दो। दूसरे बच्चे ने कुल रुपयों में से आधे रुपये देवी को दान कर दिए। पहला बच्चा अब कहता कि अपने भाई के पैसे अपने भाई को दे दो। बच्चा नंबर दो ऐसा ही करता। अब पहला बच्चा कहता कि तुम जानना चाहोगे कि तुमने कितने रुपये रखे थे। दूसरा बच्चा आश्चर्य से कहता कि बताओ? पहला बच्चा अपनी आँखों को नचाते हुए बताता कि अब तुम्हारे पास 5 रुपये बचे। पहला बच्चा हतप्रभ हो पूछता कि बता यार तुझे कैसे पता चला। अब पहला बच्चा नखरे दिखाता!
इसमें चतुराई यह है कि पहला बच्चा जितने रुपये अपने जुड़वाएगा उत्तर हर हाल में उसका आधा होगा।
मान लें कि आपने अपने मन में 100 रुपये रखे। इतने ही रुपये आपने अपने दोस्त या भाई के रख लिए। आपके पास 200 रुपये हुए। अब पहला बच्चा कहता है कि 100 रुपये( वो कोई भी संख्या जुड़वा सकता है) मेरे भी जोड़ लो। दूसरे बच्चे के पास अब 300 रुपये हुए। इनमें से आधे देवी को दान कर दिए। तो बचे 150 रुपये। भाई के भाई को दे दो। तो बचे 50। यह पहले बच्चे के द्वारा जुड़वाए रुपयों की संख्या का आधा होता है।
-वीरेंद्र सिंह
बहुत बढ़िया।
ReplyDeleteशिवम जी..आपका बहुत-बहुत धन्यवाद। सादर।
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