आपके व्यक्तित्व में चार चाँद लगाने वाली टिप्स
आज हम कुछ ऐसे टिप्स पर चर्चा करेंगे जिनसे आपके व्यक्तित्व में चार चाँद लग जाएँगे। आपका व्यक्तित्व प्रभावशाली होगा। हम जानते हैं कि एक सफ़लता भी ऐसे लोगों के ही क़दम चूमती है। बात यह भी है कि सफ़ल और सुखद जीवन की कल्पना हर कोई व्यक्ति करता है। लेकिन अधिकाँश लोगों के मामलों में ये कल्पना, कल्पना ही रह जाती है क्योंकि जीवन जीना भी एक कला है और जो इस कला में पारंगत होता उसी का जीवन सफ़ल होता है। अगर हम दूसरों के अनुभवों से कुछ लाभ उठा सकें तो कईं प्रकार की दिक्कतों से आसानी से बच सकते हैं। इस विषय में हमारे बड़े बुज़ुर्ग हमेशा हम ख़बरदार करते रहते हैं। हमारा मार्ग दर्शन करते हैं। लेकिन हम हैं कि उनकी बातों पर कभी कोई ध्यान ही नहीं देते हैं। इस ग़लती से हम सभी को बचना चाहिए। अपने बड़ों और अनुभवी शुभचिंतकों की सलाह को नज़रअंदाज़ करना सही नहीं होता। उनकी नसीहतों को अमल में लाकर अपने व्यक्तित्व को भी चमकाना चाहिए और अपनी सफ़लता के रथ को आगे बढ़ाना चाहिए।
ऐसे ही कुछ काम की टिप्स मैं आपके लिए लाया हूँ..
३- दूसरों को बिना मागें राय न दे। बिना मांगे राय देने में बहुत ख़तरे हैं। अपने अनुभव और ज्ञान की मिट्टी पलीद कराने के सुपर टॉप उपायों में से यह भी एक उपाय है।
४- अज्ञान के अधेंरे को ज्ञान के प्रकाश से दूर करें। यह काम किया जा सकता है। इसकी शुरूआत अपने घर से करनी चाहिए। अपने घर में ज्ञान का प्रकाश होगा तो दूसरों भी प्रेरित हो सकते हैं।
५- समय बिल्कुल भी बर्बाद न करें अन्यथा समय आपको बर्बाद कर देगा। यह सलाह जितनी जल्दी हो सके अपने जीवन में उतार लें।
६- ख़ाली दिमाग़ शैतान का घर होता है इसीलिए कुछ ख़ाली न बैठे कुछ न कुछ करते रहें। आराम भी जरूरी है लेकिन उतना ही जितना जरूरी है।
७- दूसरों की कमियों से पहले अपनी कमियों पर ध्यान दें। यही तो बात है। सारी उम्र दूसरों की कमियां निकालने में ही बीत जा रही है। उम्मीद है कि अपनी कमियों पर भी ध्यान जाएगा। और अगर ध्यान जाएगा तो उन्हें दूर करने का उपाय भी होगा।
८-जितना हो सके चिंता से बचिए। वैसे तो चिंता करनी ही नहीं चाहिए। चिंता, चिता समान है। यह तो हमने बचपन में पढ़ लिया था। इसलिए कम से कम अनावश्यक चिंता तो बिल्कुल मत करें।
९- स्वयं अपनी प्रशंसा न करें। क्या कह दिया? दूसरे प्रशंसा करते नहीं और अपने आप करें नहीं तो फिर कैसे चलेगा। चलेगा ....अपने कामों को आपकी प्रशंसा करने दें। जब आपके काम बोलेंगे तो आपको बोलने की आवश्यकता ही नहीं रहेगी।
१०- कुछ न कुछ नया करते रहें। यह सलाह बड़े काम की है। लेकिन दिक्कत तो यह है कि करे कौन? भई आप ही को करना है। जो करेंगे उसका लाभ भी तो आपको ही मिलेगा। इसलिए आपको ही करना होगा।
११- दूसरों से बदलने की उम्मीद करने की बजाय अपने आप को बदले। और अपने आप बदल जाएँ! दुनिया ऐसी ही है। दुनिया नहीं बदलेगी। इसलिए आप बदल जाएं। इसी में भलाई है।
१२- अनावश्यक गुस्सा बिल्कुल भी न करें। ग़ुस्सा इंसान को शैतान बना देता। ग़ुस्से ऐसा गुण है जिसका लाभ मिलने की बजाय अनावश्यक हानि और अपमान मिलता है। इसलिए मेडिटेशन और योग की मदद से अपने ग़ुस्से को नियंत्रित करना सीखिए।
१३-भविष्य कोई नहीं बता सकता इसीलिए भविष्य जानने की कोशिश कभी न करें। यह सलाह जितनी आसान है उतनी व्यवहारिक नहीं है। भविष्य जानने की जिज्ञासा इंसान के अंदर इनबिल्ट होती है। हालांकि यह होनी नहीं चाहिए थी। इसलिए कोशिश यह होनी चाहिए कि भविष्य जानने के चक्कर में जितना हो सके उतना कम पड़ें।
१४- टाल-मटोल की आदत तुरंत छोड़ दें। वाह क्या बात है? यह आदत छूटना तो बहुत मुश्किल है। अक्सर ऐसी परिस्थिति आ जाती है कि हमें टाल-मटोल करना पड़ता है। हालांकि इस आदत से छुटकारा पाना आसान तो नहीं फिर भी ईमानदारी से कोशिश जरूर करनी है। क्या पता सुधार हो ही जाए।
१५- अपने जीवन के महत्वपूर्ण निर्णय स्वयं लें। बहुत मुश्किल है जी। बहुत मुश्किल है। मेरा साथ तो यह होता है कि अगर मैं निर्णय न भी ले रहा हूं तो ज़बरदस्ती निर्णय मुझे सुना दिए जाते हैं। मेरा काम तो बस उन्हें मानने का होता है। समझ नहीं आता कि इस नियम पर पालने करें तो करें कैसे? फिर भी कोशिश तो करनी होगी।
१६- किसी के प्रति बैर-भाव बिल्कुल न रखें। सही है। बैर-भाव रखने से कुछ हासिल नहीं होने वाला। इसलिए बैर-भाव से बिल्कुल बचना है। इसके उलट प्रेम-भाव को बढ़ावा देना है।
१७- हर पल का आनंद उठाने का प्रयास करें। बहुत मुश्किल है लेकिन कोशिश तो की ही जा सकती है। कहा गया भी गया है कि कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती। इसलिए अपने जीवन का लुत्फ उठाने में पीछे मत रहिए।
१८- दूसरों की मदद के लिए हमेशा तैयार रहें। यह बहुत अच्छी बात है। दूसरों की मदद करने से अपना भी भला होता है। यह एक अच्छा गुण है।
१९- शांत रहें और जग की भलाई के बारे में हमेशा सोचें। इसमें कोई दिक्कत नहीं है। यह एक आसान टिप है। कोई मुश्किल नहीं है।
२०- जांत-पांत और ऊँच-नीच के झंझटों में बिल्कुल न पड़े। यह भी बहुत बढ़िया है।
-वीरेंद्र सिंह
वीरेंद्र भाई,व्यक्तित्व में चार चांद लगाने हेतु बहुत ही बढ़िया टिप्स दिए है आपने।
ReplyDeleteजीवनोपयोगी जानकारी
ReplyDeleteबेहतरीन जानकारी लिए सार्थक सृजन ।
ReplyDeleteज्योति देहलीवाल जी, गगन शर्मा और मीना भारद्वाज जी.....ब्लॉग पर आकर अपनी बहुमूल्य टिप्पणी देने के आप सभी का हृदय से आभार। आगे भी आते रहिएगा।
ReplyDeleteगगन शर्मा जी*। ऊपर्युक्त टिप्पणी में गगन शर्मा जी पढ़ा जाए।
ReplyDeleteमार्ग दर्शन करने वाला लेख
ReplyDeleteआपके दिए हुए सारे ही टिप उपयोगी हैं । और मैं स्वयं इस विचार का प्रबल समर्थक हूँ कि आत्म-सुधार की प्रक्रिया आजीवन अनवरत चलती रहनी चाहिए । इस अनमोल लेख के लिए अभिनंदन आपका वीरेंद्र जी ।
ReplyDeleteसभ्य और शालीन प्रतिक्रियाओं का हमेशा स्वागत है। आलोचना करने का आपका अधिकार भी यहाँ सुरक्षित है। आपकी सलाह पर भी विचार किया जाएगा। इस वेबसाइट पर आपको क्या अच्छा या बुरा लगा और क्या पढ़ना चाहते हैं बता सकते हैं। इस वेबसाइट को और बेहतर बनाने के लिए बेहिचक अपने सुझाव दे सकते हैं। आपकी अनमोल प्रतिक्रियाओं के लिए आपको अग्रिम धन्यवाद और शुभकामनाएँ।