कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गाँधी के ख़िलाफ़, आर.एस.एस. के पूर्व सर संघचालक श्री के सी सुदर्शन के उस बयान की निंदा की ही जानी चाहिए जिसमें उन्होंने श्रीमती गाँधी पर कथित तौर पर आधारहीन आरोप लगाए थे. किसी भी व्यक्ति के ख़िलाफ़ कोई भी आरोप लगाने से पहले, आरोप लगाने वालों को आरोपों की प्रकृति और उनका आधार के बारे में पता होना चाहिए. जिस पर आरोप लगाया जा रहा है उस व्यक्ति की गरिमा का भी पूरा ख़्याल रखना चाहिए. श्रीमती गाँधी कोई आम इंसान नहीं हैं. वे एक राष्ट्रीय पार्टी की अध्यक्ष है. दुनिया के शीर्ष दस बड़े शक्तिशाली नेताओं में उनकी गिनती होती है. उन पर लगाए गए श्री सुदर्शन के आरोपों में भी कुछ दम नहीं हैं. स्पष्ट है कि श्री सुदर्शन ने यहाँ पर ग़लती की, और एक ग़ैर जिम्मेदाराना बयान दिया. जिसके फलस्वरूप उनके ख़िलाफ़ जबरदस्त प्रदर्शन हुए और कई मुक़दमें भी दर्ज हुए.
लेकिन उससे भी ज़्यादा ग़ैर जिम्मेदाराना है इस बयान के प्रति कांग्रेस के नेताओं की अति उग्र प्रतिक्रिया और उसके कार्यकर्ताओं द्धारा विरोध प्रदर्शित करने का तरीका. चूँकि इस बयान से उनकी प्रिय नेता की छवि ख़राब हुई थी या फ़िर कहें की उनकी नेता का अपमान हुआ इसलिए उन्होंने कई स्थानों पर जमकर तोड़-फोड़ कर अपना विरोध जताया और दिल्ली और उत्तर प्रदेश में आर.एस.एस. के मुख्यालयों पर जमकर हंगामा किया गया. इतना ही नहीं कांग्रेस के नेताओं ने भड़काने वाले भाषण भी दिए जिससे इसके कार्यकर्ताओं का मनोबल ऊँचा हुआ और उन्होंने मुक्त होकर उत्पात मचाया. इससे आम जनता ख़ासकर कामकाजी वर्ग को काफ़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ा. विरोध का ये ढंग कीचड़ को कीचड़ से साफ़ करने की परंपरा की याद दिलाता है . जो की हमारे देश में कुछ ज़्यादा ही फलफूल रही है.
केवल एक बयान पर कांग्रेसी इतना भड़क गए!
गुंडों की तरह तोड़-फोड़ करने सड़क पर उतर गए!
जमकर उधम मचाया, पुलिस को भी खूब छकाया!
गुंडागर्दी ऐसी कि कईयों के सिर भी तड़क गए!
ये वही कांग्रेसी नेता हैं जिन्होंने महँगाई के ख़िलाफ़ तो कभी कोई बयान नहीं दिया. लेकिन एक विवादित बयान के ख़िलाफ़ इस तरह उग्र प्रदर्शन करने के लिए अपने कार्यकर्ताओं को जमकर भड़काया. और ये वही कांग्रेसी कार्यकर्ता हैं जो महँगाई से त्रस्त देश की जनता के लिए कभी सड़कों पर नहीं उतरें लेकिन एक आधारहीन बयान के कारण उत्पात मचाने में इन्होंने बिल्कुल भी संकोच नहीं किया .
ये विचित्र है कि देश पर हमला करने वाले आतंकवादियों को सज़ा दिलाने के लिए इन्होंने कभी कोई शालीन प्रदर्शन तक भी नहीं किया और भविष्य में कभी करेगें इसकी भी कोई उम्मीद नहीं. आतंकवाद से पीड़ित भारतवासियों के ज़ख्मों पर मरहम लगाने की कोशिश इस पार्टी के नेताओं या इसके कार्यकर्ताओं ने कभी इतने दिल से नहीं की जितने दिल से इन्होंने अपनी नेता को ख़ुश करने की कोशिश की. ज़ाहिर है ये सब अपना भला देखते हैं. जनता की इनको तनिक भी परवाह नहीं. अन्यथा १२/११/२०१० को विरोध प्रदर्शन करते वक़्त कम से कम जनता का ख़्याल तो रखते.
भ्रष्टाचार को लेकर आजकल बवाल मचा हुआ है. कांग्रेस इस मुद्दे पर सत्ता की ख़ातिर समझौतावादी रवैया अपना रही है. दूरसंचार मंत्री ए.राजा के ख़िलाफ़ कांग्रेस सरकार का कोई भी कार्रवाही न करना इस बात का पुख्ता सबूत है. हो सकता है भारी दवाब में देर-सबेर राजा की छुट्टी हो भी जाए लेकिन इतने दिनों तक ए. राजा का कैबिनेट मंत्री बने रहना और सुप्रीम कोर्ट का ए. राजा के मंत्री बने रहने के औचित्य पर ही सवाल उठाना, कांग्रेसजनों के लिए कभी कोई शर्मिंदगी का कारण नहीं बनता. आखिर क्यों ? क्या सत्तासुख के लिए कांग्रेसी कुछ भी कर सकते हैं. अगर हाँ तो ये देश के लिए कतई शुभ नहीं है. कांग्रेस को ये बताना ही होगा कि आम आदमी कांग्रेस पर भरोसा करे तो क्यों करे? देश से भ्रष्टाचार को जड़ से ख़त्म करने की बात करने वाली कांग्रेस आज अपने ही किए वादे को भूल गई. क्यों ? सिर्फ़ सत्ता के लिए न ! अगर ऐसा है तो आम आदमी को भी आपसे कोई सहानुभूति नहीं है. किसी भी दल के दोहरे रवैये को जनता शायद ही माफ करे।
ये कांग्रेस है श्रीमान...मै भी श्री सुदर्शन जी के बयां से सहमत नहीं हूँ.लेकिन...rss जैसी राष्ट्रवादी संगठन को..जो की गुजरात भूकंप से लेकर बिहार बाढ़ तक बहुत से सामाजिक कार्य करता आ रहा है...उसे हरकत-उल जेहाद बनाने की कोशिश भी ठीक नहीं
जवाब देंहटाएंराहुल जी.... मैं आपसे सहमत हूँ.
जवाब देंहटाएंहर बात से सहमत ...... यह बिल्कुल सही है की समाज हो या राजनीति जैसे को तैसा से समस्या हल नहीं होती.....
जवाब देंहटाएंजो की हो रहा है..... सार्थक पोस्ट
राजनीति की गलियों में एक जैसे ही बसते है
जवाब देंहटाएंदिन में प्रहार इक दूजे पे , रात में साथ पीते है ।
बाहर से घर अलग सही दरवाजे एक ही गलियारे में खुलते है
ये सत्ता के प्यासे बस सत्ता की ही पूजा करते हैं
चर्चा और बयानबाज़ी के लिए बहुत से विषय हैं। खेद है कि कई नेता अपनी उम्र और मर्यादा का ध्यान न रखते हुए,अशालीन प्रतिक्रिया देते रहे हैं-नीचे क्या संकेत जाएगा,इसकी परवाह किए बगैर।
जवाब देंहटाएंकांग्रेश सारा ध्यान बतना चाहती है
जवाब देंहटाएंकलमाड़ी और आदेश घोटाले से जनता का ध्यान हटाना चाहती है
सुदेर्सं का बयान इतना मायने नही रखता जितना की इस युग में किया गया ये घोटाले
सारी पार्टियां चोर चोर मोसेरे भाई हैं ये पब्लिक को दिखाने के
जवाब देंहटाएंलिये एक दूसरे के विरोधी हैं।
बहिरा बांटे रेवड़ी अंधरा चीन्ह चीन्ह के देय
ऐसी कौन सी पार्टी है या ऐसा कौन सा नेता है जो भ्रष्ट नही
है आज कल तो भ्रष्टाचार की होड़ मे संत महत्मा भी कूद पड़े
हैं। राजनीती मे धर्म और धर्म मे राजनीती घुस कर खिचड़ी बन
गयी है। मेन मकसद है पैसा कैसे कमायें क्योंकि करोंड़ो रुपये
फूंक कर गद्दी पायी अगले चुनाव मे लगाना है।
अपने भारत मे गुलामी का जींस फुल फॉम मे है हम और आप लोग ही उसे जिंन्दा रखे हुऐ है जैसे हर नेता हर पार्टी के पीछे भारी भीड़ है। नेता चाहे जो करवा दे गुलाम मरने मारने पर उतारु हो जाते हैं।
जिस दिन ये गुलामी का जींस मर जायेगा उस दिन ये नेता और अपना भारत सुधर जायेगा।
अब देखिये यदि मै किसी पार्टी से जुड़ा हूं तो विरोधी पार्टी के उूपर खीज उतारुंगा क्योकि वो सत्ता मे है जिस दिन मेरी पार्टी सत्ता मे आजायेगी मुझे अपनी पार्टी जिससे मै आस्था से जुड़ा हूं उसकी गलती पर मजबूरी है मै आंखें बंद कर लूंगा।
क्योकि मे गुलामी की जंजीरों से जकड़ा हूं कही न कहीं मेरा स्वार्थ भी जुड़ा है।
भाई खीज कर अपने खून को मत जलाओ कमजोर हो जाओगे। चिल्लाते चिल्लाते कई उूपर चले गये नेताओं को कोई फर्क नही पड़ता मोटी खाल के होते है नेताओ की जात अलग होती है। इनके इंसान का दिल नही रहता और न ये इंसान रह जाते हैं
एक लेख पढ़ा था
अगर दुनिया को बदलना है तो खुद को बदल डालो
इस जींस को मारने की शुरुआत हमे और आपको करनी पड़ेगी।
फालतू मे अपनी एनर्जी नंगा करने मे वेस्ट कर रहे हैं।
आसमान मे थूंकोगे थूक वापस मंुह पे गिरेगा
पहले हम इस गुलामी से बाहर निकले और फिर दूसरो को निकालने मे ताकत लगाये।
अच्छे प्रयास सार्थक होते है
सारी पार्टियां चोर चोर मोसेरे भाई हैं ये पब्लिक को दिखाने के
जवाब देंहटाएंलिये एक दूसरे के विरोधी हैं।
बहिरा बांटे रेवड़ी अंधरा चीन्ह चीन्ह के देय
ऐसी कौन सी पार्टी है या ऐसा कौन सा नेता है जो भ्रष्ट नही
है आज कल तो भ्रष्टाचार की होड़ मे संत महत्मा भी कूद पड़े
हैं। राजनीती मे धर्म और धर्म मे राजनीती घुस कर खिचड़ी बन
गयी है। मेन मकसद है पैसा कैसे कमायें क्योंकि करोंड़ो रुपये
फूंक कर गद्दी पायी अगले चुनाव मे लगाना है।
अपने भारत मे गुलामी का जींस फुल फॉम मे है हम और आप लोग ही उसे जिंन्दा रखे हुऐ है जैसे हर नेता हर पार्टी के पीछे भारी भीड़ है। नेता चाहे जो करवा दे गुलाम मरने मारने पर उतारु हो जाते हैं।
जिस दिन ये गुलामी का जींस मर जायेगा उस दिन ये नेता और अपना भारत सुधर जायेगा।
अब देखिये यदि मै किसी पार्टी से जुड़ा हूं तो विरोधी पार्टी के उूपर खीज उतारुंगा क्योकि वो सत्ता मे है जिस दिन मेरी पार्टी सत्ता मे आजायेगी मुझे अपनी पार्टी जिससे मै आस्था से जुड़ा हूं उसकी गलती पर मजबूरी है मै आंखें बंद कर लूंगा।
क्योकि मे गुलामी की जंजीरों से जकड़ा हूं कही न कहीं मेरा स्वार्थ भी जुड़ा है।
भाई खीज कर अपने खून को मत जलाओ कमजोर हो जाओगे। चिल्लाते चिल्लाते कई उूपर चले गये नेताओं को कोई फर्क नही पड़ता मोटी खाल के होते है नेताओ की जात अलग होती है। इनके इंसान का दिल नही रहता और न ये इंसान रह जाते हैं
एक लेख पढ़ा था
अगर दुनिया को बदलना है तो खुद को बदल डालो
इस जींस को मारने की शुरुआत हमे और आपको करनी पड़ेगी।
फालतू मे अपनी एनर्जी नंगा करने मे वेस्ट कर रहे हैं।
आसमान मे थूंकोगे थूक वापस मंुह पे गिरेगा
पहले हम इस गुलामी से बाहर निकले और फिर दूसरो को निकालने मे ताकत लगाये।
अच्छे प्रयास सार्थक होते है
पोस्ट का end (सुना तुमने ......................) साबित करता है की पोस्ट काफी गुस्से में आपने लिखी है.ऐसा ही गुस्सा सुदर्शन जी की अपमानजनक टिप्पणी पर कांग्रेसजनों को आया होगा. नतीजन उन्होंने बवाल कर दिया. हो सकता है सुदर्शन जी को भी किसी बात पर गुस्सा आया हो जो उन्होंने माननीय सोनिया जी पर गैर जिम्मेदाराना टिप्पणी कर दी.
जवाब देंहटाएंअर्थ ये है की गुस्सा हमेशा विवेक को शून्य कर देता है और आदमी कुछ भी कह जाता है,अक्सर बाद में पछताता भी है .पर जो कह गया वो कह गया.
वैसे नेताओं /हुक्मरानों की बात पर अपना एक मुक्तक याद आ रहा है.मुक्तक यूं है:-
आसमानों की बात क्या करना.
हुक्मरानों की बात क्या करना.
इनकी फितरत में है बेईमानी,
बेईमानों की बात क्या करना.
कुँवर कुसुमेश
भाईसाब मैं तो मानता हूँ कि हर राजनीतिज्ञ बेईमान होता है ... politics is for the scoundrel, by the scoundrel and of the scoundrel ...
जवाब देंहटाएं.
जवाब देंहटाएंrajniti mein sab ek se badhkar ek hain. koi doodh ka dhula nahin, koi kisi se kam nahin.
.
शर्मनाक ....!!
जवाब देंहटाएंपाकिस्तान और अफगानिस्तान बनाने की ओर अग्रसर हो रहे हैं।
जवाब देंहटाएंमै भी हिन्दू हूं मगर मै दूरदर्शी परिणाम जान रहा हूं।
ये कुण्ठा ग्रस्त लोग अपनी कुत्सित मानसिकता और छड़िंक राजनैतिक लाभ के लिये भारत के नौजवानो की ताकत का गलत उपयोग कर रहे है। और नौजवानो के अन्दर जहर घोल रहे है।
पड़ोसी देश की राह पर चला रहे है। अरे भईया ये जो जीवन है बहुत अनमोल है।
पड़ोसियो को तो 72-73 का सुख और नदियां मिलेगी।
अपना क्या होगा?
गनीमत है कि अपने मे ऐसा कुछ नही हैं नही तो पड़ोसी से सौ गुना आगे होते हम
"कानून के हाथ बहुत लम्बे होते हे"- जो सिर्फ भ्रस्ट लोगो की मदद के लिए ही बढ़ते हे|
जवाब देंहटाएं