गाँधीजी की ये बातें जानकर आप हैरान रह जाएँगे!😲🙏
गाँधी जयंती के अवसर पर विशेष प्रस्तुति!
✍ 2 अक्टूबर 2021 को गाँधीजी की 152 वीं जयंती मनाई जाएगी। 2 अक्टूबर, सन 1869 को गुजरात के पोरबंदर में गाँधी का जन्म हुआ था।आज ही के दिन अंतरर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस भी मनाया जाएगा। इसकी शुरुआत सन 2007 से हुई थी। 17 जून 2007 को संयुक्त राष्ट्र महासभा में एक प्रस्ताव पारित कर दुनिया से आग्रह किया गया था कि गाँधीजी को जन्म दिवस को शांति और अहिंसा पर चलने का प्रण लेते हुए अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाएँ। महात्मा गाँधी आज भी भारतीय जनमानस में विशेष स्थान रखते हैं। उनके विचार आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने आजादी के समय थे।
भारत की स्वतंत्रता में गाँधीजी की मुख्य भूमिका रही। अंग्रेज़ी हुकुमत के ख़िलाफ़ उन्होंने लोगों को ऐसा लामबंद किया कि आने वाली तमाम पीढ़ियाँ गाँधीजी पर गर्व करेंगी। गाँधी जी ने जो काम किया उसकी मिसाल दुनियाभर में सदियों तक दी जाती रहेगी। अंग्रेज़ों के ख़िलाफ़ आंदोलन तो पहले से ही हो रहे थे। लेकिन गाँधीजी ने उन आंदोलनों को जन आंदोलनों में तब्दील कर दिया था। आख़िर गाँधीजी ने ऐसा कैसे किया होगा? कैसे गाँधीजी ने अपना नाम दुनिया के सबसे प्रभावशाली नेता के रूप में दर्ज करा दिया था। यह एक लंबी दास्तान है। गाँधीजी अहिंसा की बात करते थे तो अहिंसा को अपने जीवन में सर्वोच्च स्थान भी देते थे। गाँधीजी सादा जीवन उच्च विचार में विश्वास रखते थे और ऐसा ही जीवन जीते थे। उनकी सादगी और सरलता ने लोगों को दिल जीत लिया था। गाँधीजी को लगता था कि यहाँ अन्याय हो रहा है तो वो उसका विरोध करते थे। गाँधी जी वो नहीं कहते थे जो लोगों को अच्छा लगे। गाँधी जी वो कहते थे जो उनके हिसाब से सही होता था। वो निडर और स्पष्ट वक्ता थे। ज्यादा मीठा बोलने या घुमा-फिरा बात नहीं करते थे। जो मन हो वो बोलते थे। फिर किसी को अच्छा लगे या न लगे।और भी ऐसी बातें जो जिनकी बदौलत गाँधीजी आज भी लोगों के दिलों पर राज़ करते हैं। गाँधी जयंती के मौक़े पर उनकी उन ख़ूबियों पर संक्षेप में बात करेंगे जिन्होंने गाँधी को गाँधीजी बना दिया। मानव को महामानव बना दिया।
महात्मा गाँधी |
1- कथनी और करनी एकसमान
गाँधीजी कमाल की शख्सियत थे। उनमें सैकड़ों ऐसे गुण थे जिनके साधारण इंसान में मिलने की कल्पना नहीं की जा सकती। चाहे वो सादा जीवन उच्च विचार की बात हो या फिर सत्य बोलने पर ही अडिग रहना। लेकिन अगर संक्षेप में गाँधीजी की कामयाबी निश्चित करने वालों तथ्यों को सामने रखा जाए तो सबसे पहले हमें उनकी कथनी और करनी में कोई अंतर न होना को रखेंगे गाँधीजी अपने कर्मों द्वारा अपनी बात सिद्ध करते थे।। कथनी और करनी अंतर का न होना इंसान के लिए वरदान से कम नहीं होता है। हम क्या कहते हैं या दावा करते हैं दुनिया को इससे कोई मतलब नहीं होता। दुनिया हमारा मूल्याँकन, हमारे कर्मों को देखकर करती है। गाँधीजी अहिंसा में विश्वास रखते थे। लोगों से अहिंसा के मार्ग पर चलने का आह्वान करते थे। तो वे स्वंय भी अहिंसा का पालन उतनी ही कड़ाई से करते थे। कहा जाता है कि जब उन्हें पता कि लोग गाय का दूध तब तक निकालते हैं जबतक कि उसके थन से आख़िरी बूँद तक न निकल जाए तो उन्हें लगा कि इससे गाय को बहुत पीड़ा होती होगी। उन्होंने निर्णय किया कि वे गाय का दूध नहीं पिया करेंगे। लगभग 60 वर्ष के होने तक उन्होंने गाय का दूध नहीं पिया। जब गाँधीजी अत्यधिक कमज़ोर होने लगे तो डॉक्टरों के अत्यधिक ज़ोर देने पर उन्होंने बकरी का दूध पीने की बात मान ली थी। गाँधीजी मितव्ययता पर ज़ोर देते थे। वे स्वयं अल्प वस्तुओं के साथ जीवन निर्वाह करते थे। गाँधीजी के पास महज लूँगी, चश्मा, सैंडल, एक लाठी, एक किताब, एक कटोरा, एक प्लेट, एक घड़ी, एक शॉल और एक चादर थीं। गाँधीजी का यह गुण आज भी उतना ही प्रासंगिक है।
2- व्यवहारिक नज़रिया या दृष्टिकोण
3-हर किसी के साथ संवाद स्थापित करने की कला
4- महापुरुषों सी ली सीख
5- सभी जाति, धर्मों का आदर करने वाले गाँधीजी
गाँधीजी हिन्दू थे। लेकिन साधारण हिन्दू की तरह वे सभी धर्मों और जातियों का सम्मान करते थे। सभी जाति और धर्मों का आदर-सम्मान करते थे। गाँधीजी ने सभी धर्मों का अध्ययन किया करते थे। धर्म-परिवर्तन जैसे विचारों को गाँधी नकारते थे। गाँधीजी मानते थे कि सभी धर्मों के मूल में सत्य और प्रेम ही है। किसी भी धर्मग्रंथ के मुताबिक देखिए सबका ईश्वर एक ही है। रुढियों और कुप्रथाओं के खिलाफ थे। हम कह सकते हैं कि वो एक समाज सुधारक भी थे। उन्होंने जब हिंदू समाज को जाति व्यवस्था में जकड़ा देखा तो उन्होनें कहा कि यह मेरी समझ में नहीं आता। गाँधीजी ने अस्पृश्यता का विरोध भी किया। उन्होंने इसे ख़त्म करने का आह्वान किया था। गाँधी जी हिंदू-मुस्लिम एकता के हिमायती थे। कामयाबी की चाहे में आगे बढ़ रहे युवाओं को एक बाद ध्यान में रखनी चाहिए कि मनुष्य-मनुष्य में किसी भी तरह भेदभाव नहीं करना है।
गाँधीजी के बारे में कहने को इतना कुछ है जिसे एक ही आलेख में समेटना असंभव है। इसलिए आख़िर में यही कहना चाहूँगा कि दुनिया में बहुत से ऐसे चुंबकीय व्यक्तित्व जैसे विंस्टन चर्चिल, अडोल्फ हिटलर, अब्राहम लिंकन, फैंकलिन रूजबेल्ट इत्यादि हुए हैं। राजनीतिक जगत की इन तमाम हिस्तियों ने अपने लोगों को गहरे से प्रभावित और प्रेरित किया है। स्वामी विवेकानंद, मदर टेरेसा जैसे अध्यात्मिक व्यक्तित्व हुए तो अमिताभ बच्चन जैसे चुंबकीय व्यक्तित्व वाले लोग भी हुए हैं। इन सभी ने करोड़ों लोगों न केवल अपना दीवाना बनाया बल्कि उनको प्रेरित भी किया। महात्मा गाँधी इन सबसे अलग एक बहुमुखी व्यक्तित्व थे यानि विभिन्न प्रकार के लोगों के लिए वे अलग-अलग व्यक्तित्व थे। कुछ लोगों को उनमें एक शहीद नज़र आता था, कुछ उनमें एक उत्साही वकील देखते थे। तो करोड़ों लोग उन्हें देशभक्त और क्रांतिकारी के रूप में देखते थे। पश्चिम जगत के लोग उन्हें जिद्दी, एक संत और एक ढोंगी के रूप में देखते थे। कुछ लोगों के वे एक पथभ्रष्ट नेता लगते थे।
शायद ही कोई अनुमान लगा पाया होगा कि अपनी मृत्यु के 60-70 साल बाद भी यह व्यक्तित्व संपूर्ण दुनिया को प्रभावित कर रहा होगा। गाँधीजी के ढंग से जीवन में आगे बढ़ने पर सिर्फ़ और सिर्फ कामयाबी ही मिलेगी।🙏🙏
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शनिवार 02 अक्टूबर 2021 शाम 3.00 बजे साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंआपका बहुत-बहुत आभार।सादर।
हटाएंबहुत सार्थक लेख विस्तृत और गांधीजी के चरित्र को सुदृढ़ करता सुंदर लेख ।
जवाब देंहटाएंगाँधी जी जीते जी अववाद थे,आज भी हैं और सदियों तक रहेंगे कोई कितनी भी आलोचना कर लो गांधी हर आलोचक के दिमाग पर हावी है जो साफ बताता है ,जब कोई आपके दिमाग में रहने लग जाए तो समझो आप उससे जुदा नहीं हो पा रहे चाहे कितनी भी आलोचना कर लो पर वो व्यक्ति हमेशा आप पर हावी है।
नमन गांधी जी को ।
बहुत सुंदर लेख।
बहुत सारगर्भित आलेख गांधी जी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर ।बहुत शुभकामनाएं वीरेन्द्र जी ।
जवाब देंहटाएंआपका बहुत-बहुत आभार जिज्ञासा जी। सादर।
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