बसंत पंचमी और इसका महत्व
सबसे पहले आप सभी को बसंत पंचमी की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ, मंगलकामनाएँ और बधाई। आप के जीवन में बसंत ऐसे ही आते रहें।
आज माघ मास की पंचमी तिथि है । इस दिन को बसंत पंचमी भी कहते हैें। इसी तिथि से बसंत ऋतु का आगमन माना जाता है। बसंत ऋतु को सभी ऋतुओं में सर्वश्रेष्ठ कहा गया है इसलिए इसे ऋतुराज भी कहते हैं। बसंत ऋतु में प्रकृति अपने अनुपम और अद्भुत सौंदर्य का दर्शन कराती है। प्राचीन काल से ही कवियों ने अपनी कविताओं के माध्यम से ऋतुराज की महिमा का सुंदर वर्णन किया है। यह परंपरा अभी भी जारी है और कवि आज भी उतने ही उत्साह से बसंत ऋतु का वर्णन अपनी कविताओं के माध्यम से करते हैं। बसंत ऋतु के महत्व का पता इस बात से भी चलता है कि हमें अपनी उम्र, बसंत की संख्या से बताने में विशेष आनंंद और संतुष्टि मिलती है। जैसे अगर कोई व्यक्ति 60 वर्ष का हो चुका है तो बड़े गर्व से कहता है कि वो जीवन के 60 बसंत देख चुका है।
सरस्वती पूजा और इसका महत्व
आज ही के दिन ज्ञान, विद्या, और वाणी की देवी माँ सरस्वती का प्राकट्य दिवस(जन्म-दिवस) भी माना जाता है । इसलिए आज के दिन माँ सरस्वती की पूजा-अर्चना पूरे श्रद्धा भाव से कर उनका आशीर्वाद लिया जाता है। विद्याथिर्यों को तो अवश्य ही माँ सरस्वती की पूजा करनी चाहिए। छोटे बच्चों की शिक्षा प्रारंभ करने के लिए आज का दिन शुभ माना गया है। किसी नई कला की शुरूआत भी आज के दिन की जा सकती है। ध्यान रहे कि इस दिन कुछ भी नकारात्मक नहीं करना चाहिए। माँ सरस्वती से प्रार्थना करनी चाहिए कि उनका आशीर्वाद और उनकी कॄपा हम पर सदा बनी रहे।
कामदेव और देवी रति की पूजा और इसका महत्व
बसंत पंचमी के अवसर पर कामदेव और उनकी पत्नी देवी रति की उपासना भी की जाती है। ऐसा करने से वैवाहिक जीवन में प्रेम और आकर्षण बढ़ता है और जीवन खुशहाल बनता है। दरअसल कामदेव का संबंध बसंत ऋतु से भी है। हम देखते हैं कि बंसत ऋतु में मौसम बेहद सुहावना हो जाता है। न ज्यादा सर्दी और न ही ज्यादा गर्मी होती है। विविध रंगों वाले फूल जगह-जगह दिखाई देने लगते हैं जो सबका मन मोह लेते हैं। मन में आशा का संचार होता है। इसका असर प्राणियों पर होता है जिसके प्रभाव से प्रेमभाव जाग्रत होता है। प्रेमभाव जाग्रत होने से सृष्टि आगे बढ़ती है। एक मान्यता यह भी है कि कामदेव और उनकी पत्नी रति, दोनों ही काम के देवता हैं। कहा जाता है कि कामदेव के पास फूलों से बना एक धनुष है जिससे वो कामरूपी तीर छोड़ते हैं। इस तीर का प्रभाव हर प्राणी पर होता है। तीर के प्रभाव से प्राणियों में कामभाव जाग्रत हो जाता है और स्त्री-पुरुष में आकर्षण और प्रेम बढ़ता है जिससे सृष्टि आगे बढ़ती है।
-वीरेंद्र सिंह
आपको भी बसंत पंचमी की शुभकामनाएं..बसंत पंचमी के बारे में बहुत अच्छी जानकारी दी आपने..धन्यवाद..
ReplyDeleteबहुत उपयोगी तथा सूचनादायी लेख है यह आपका वीरेंद्र जी । आपको भी वसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं ।
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद जितेंद्र जी। सादर।
Deleteबहुत बहुत लाभ दायक उपयोगी | क्या आपको यह नहीं लगता कि अब वसंत पंचमी का महत्व बहुत कम हो गया है या यह समझिये कि कम कर दिया गया है |जब मैं डी ए वी इन्टर कॉलिज में कक्षा ६ से १२ तक पढ़ा ( १९५१ से १९५७ ) तब वहां हर वर्ष वसंत पंचमी का उत्सव बहुत ही उच्च स्तर पर मनाया जाता था |पर अब तो कहीं कुछ नहीं होता |
ReplyDeleteआलोक जी..बहुत-बहुत धन्यवाद। सर हो सकता है। थोड़ा बहुत अन्तर हो सकता है। एक बात यह भी है सर, कि कोई भी काम आज ऐसा नहीं होता जैसे पहले हुआ करता था। वैसे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में तो बसंत पंचमी को लेकर श्रद्धा अभी बनी हुई है। ऑनलाइन और अख़बारों में भी बसंत पंचमी पर काफ़ी कुछ लिखा जा रहा है।
Deleteबहुत ही सारगर्भित लेख..कुछ नई जानकारी मिली..बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं..
ReplyDeleteसभ्य और शालीन प्रतिक्रियाओं का हमेशा स्वागत है। आलोचना करने का आपका अधिकार भी यहाँ सुरक्षित है। आपकी सलाह पर भी विचार किया जाएगा। इस वेबसाइट पर आपको क्या अच्छा या बुरा लगा और क्या पढ़ना चाहते हैं बता सकते हैं। इस वेबसाइट को और बेहतर बनाने के लिए बेहिचक अपने सुझाव दे सकते हैं। आपकी अनमोल प्रतिक्रियाओं के लिए आपको अग्रिम धन्यवाद और शुभकामनाएँ।