जीती बाज़ी हारना हमें आता है..
एक राज्य के पूर्व सीएम पर जब अवैध रूप से जमीन कब्जाने के आरोपों के बारे सुना तो मन में कोई हैरानी न हुई। शायद इसलिए कि इसमें हैरान करने जैसा कुछ था ही नहीं। मतलब कि अगर राजनेता या ताक़तवर लोग जमीन पर कब्जा नहीं करेंगे तो कौन करेगा। आम आदमी के पास तो इतनी भी हिम्मत नहीं कि वो अपनी जमीन बचा ले। अवैध कब्जा तो दूर की कोड़ी है। कभी-कभी दो वक़्त की रोटी बचाने में भी दम फूल जाता है। वहीं अगर ख़बर इससे उलट होती कि फलां राजनेता ने अपनी ज़मीन किसी ग़रीब को दान कर दी तो सुखद आश्चर्य जरूर होता।
सांकेतिक चित्र |
आजकल सरकार हैरान हैं कि भारत में कोरोना के मामलों में फिर से इजाफा होने लगा है। हालांकि इसमें हैरान होने जैसी कोई बात नहीं है। हैरान तो इस बात पर होना चाहिए कि बाकी लोग अभी तक कोरोना से कैसे बचे हुए हैं? जबकि हम जी-तोड़ कोशिश कर रहे हैं कि कोरोना से जीतना तो दूर हम उससे हार जाएं और बुरी तरह हार जाएं। कोरोना को रोकने के लिए सरकार ने कुछ गाइडलाइनें बनाई गई थीं। हमने सरकार की उम्मीदों पर पानी फेरने में कोई कसर नहीं छोड़ी। तो फिर कोरोना मामले बढ़ने पर किस बात की हैरानी। इसकी आशंका तो हर कोई जता रहा था।
अगर आप क्रिकेट के शौकीन हैं तो आपको ऐसे मैच ज़रूर याद होंगे जिनमें टीम इंडिया जीतने की कगार पहुंच कर भी हार गई थी। ऐसा एक-दो बार ही हुआ है ऐसा भी नहीं है। जीत की दहलीज पर आते-आते बहुत से मैच हारे गए हैं या कईं बार आसान मैच को भी मुश्किल बना दिया। लोगों को यह कहने पर मज़बूर होना पड़ता कि टीम इंडिया को तो जीता हुआ मैच हारने की या एक आसान मैच को भी मुश्किल बना देने की आदत बन गई है। हालांकि ऐसा भी नहीं था कि ऐसा जानबूझकर किया जाता था। होता कुछ ऐसा था कि शुरुआत में सतर्कता से खेले और जीत के करीब पहुंच गए लेकिन जीत से कुछ कदम दूर थोड़े से लापरवाह हुए और या तो मैंच फंसा बैठे या गवां बैठे। कहना यह है कि जीता हुआ मैच कैसे हारा जाता या एक आसान मैच को कैसे मुश्किल मैच बनाया जा सकता है वो टीम इंडिया को बहुत अच्छे से आता है।
कोरोना से हमारी जंग किसी क्रिकेट मैच से कम नहीं है। शुरुआत में हमने काफी सतर्कता बरती लेकिन बाद में लापरवाही। नतीज़ा सामने है। एक जीती हुई लड़ाई को हमने मुश्किल लड़ाई बनाकर ही दम लिया और यह सिद्ध कर दिया कि आसान मैच की तरह आसान लड़ाई को भी मुश्किल बनाने की इस कला में हमें महारत हासिल है। खेलने का यह हमारा अपना अंदाज़ है और हमारे इस चिर-परिचित अंदाज़ पर किसी को हैरान नहीं होना चाहिए।
-वीरेंद्र सिंह
समसामयिक एक सार्थक लेख।
ReplyDeleteसादर।
आपकी अमूल्य टिप्पणी के लिए आपका आभार। सादर।
ReplyDeleteविचारणीय आलेख।
ReplyDeleteज्योति जी..आपका धन्यवाद। सादर।
Deleteसही कहा आपने कि शुरुआत में हमने काफी सतर्कता बरती लेकिन बाद में लापरवाही। नतीज़ा सामने है। एक जीती हुई लड़ाई को हमने मुश्किल लड़ाई बनाकर ही दम लिया
ReplyDeleteबहुत सटीक एवं विचारणीय लेख।
सुधाजी..धन्यवाद। आगे भी आती रहिएगा।
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