किसानों के दिल तोड़ गई बेमौसम बारिश!
अक्टूबर के मध्य में हुई बेेमौसम बारिश ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों ख़ासकर धान के किसानों का दिल , तोड़कर रख दिया है। जी हाँ.2021 में किसानों को बारिश बहुत सता रही है। पहले तो मॉनसून देर से गया जिसके चलते उस वक्त तैयार फसलों को बारिश ने काफी नुकसान पहुँचाया था।
पानी में डूबी धान की फसल ( Photo 18/10/2021) |
अक्टूबर के पहले सप्ताह में मॉनसून जब विदा हुआ तो धान के किसानों ने राहत की सांस ली कि चलो अब फसल को काट लेंगे। लेकिन यह राहत ज्यादा दिन नहीं रही। जब ज्यादातर किसानों की धान की तैयार फसल या ता खेत में कटी पड़ी है या कटने को तैयार है तो उसी वक्त पश्चिमी विक्षोभ के चलते दो दिन तक हुई लगातार भारी बारिश ने किसानों के अरमानों पर पानी फेर दिया। कटी फसल पानी में डूब गई है। खड़ी फसल में पानी ही पानी है। अब ऐसे में किसान करे तो क्या करे? धान के खेतों में कहने को तो पानी बह रहा है लेकिन हकीकत में ये पानी किसानों के अरमानों पर, उनके सपनों पर फिर रहा है। किसानों का अनुमान है कि पानी में डूबी फसल लगभग बर्बाद हो चुकी है। अगर थोड़ा बहुत धान हाथ आया भी तो उसकी गुणवत्ता यानी क्वालिटी खराब होगी। यानी अत्यधिक बारिश से नुक़सान भी अत्यधिक ही हुआ है। अब उन्हें राज्य सरकार से थोड़ी उम्मीद है कि शायद कुछ मआवजा मिल जाए। ऐसे हालात में राज्य की योगी सरकार को किसानों की मदद के लिए जरूर आगे आना चाहिए। बर्बाद हुई फसल का सही मुआयना कर बेमौसम बारिश के पी़ड़ित किसानों को मुआवजा देकर उन्हे थोड़ी राहत तो दी ही जा सकती है।
-वीरेंद्र सिंह
हा सर बिलकुल इस बार बहुतों का नुकसान हो गया है बारिश की वजह से गांव में। पूरी फसल ही गिर गई है।
जवाब देंहटाएंबिल्कुल शिवम जी। सरकारों का फर्ज की वो किसानों के नुकसान का मुआयना कराकर हरसंभव मदद का प्रयास करें।ब्लॉग पर आने के लिए आपका बहुत-बहुत आभार।
हटाएंबिल्कुल सही कहा आपने किसानों का दिल तोड़ गई बेमौसम बरसात! चूंकि मैं एक गाँव और एक किसान परिवार से हूंँ,मेरी खुद की नौ बीघा फसल बारिश के चलते बर्बाद हो गई!और जो बची है उस पर भी खतरे के बादल मंडरा रहें हैं!
जवाब देंहटाएंमैं देख रही हूं कि किस तरह इस बारिश ने किसानों के आंखों से आंसुओं की बरसात कराई है!कितनों का सपना दिल और बहुत कुछ टूटा है कितनों के सपनों पर इस बारिश ने पानी फेर दिया है!जो फसल देखकर कुछ ही दिन पहले किसान फूले नहीं समाते थे उसी की दुर्दशा देखकर आंखों से आंसू रोक नहीं पा रहे हैं! इसमें किसी एक का नहीं बल्कि सभी किसानों का नुकसान हुआ है! इसलिए एक दूसरे का दुख देखकर थोड़ा संतोष कर लेते हैं! और एक दूसरे की हिम्मत बन रहें हैं!
मनीषा जी, जानकर बहुत दु:ख हुआ कि आपकी फसल भी बेमौसम बारिश की भेंट चढ़ गई। कुदरत के सामने हम असहाय हैं! आप पर जो बीत रही है उसे समझा जा सकता है। ईश्वर से कामना है कि कम से कम बची हुई फसल सही सलामत रहे। ब्लॉग पर आने के लिए आपका बहुत आभार और शुक्रिया।
हटाएंमनीषा जी, आपसे सहमत हूँ।किसान प्रकृति के हाथों हुई अपनी इस दुर्दशा पर बेहद निराश और हताश हैं। किसानों के सामने बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति पैदा हो गई है। ये फसल लगभग चौपट हो गई है। वहीं अगली फसल की बुआई भी समय पर नहीं हो पाएगी! क्योंकि खेत सूखने में वक्त लगेगा। वहीं ये प्रार्थना भी करनी होगी कि अब और बारिश न हो? वैसे कुछ ऐसे किसान भी रहे होंगे जिन्होंने अपनी फसल से अनाज बारिश से पहले ही निकाल लिया होगा। लेकिन अगली फसल की बुआई समय पर शायद वे भी न कर पायें!
हटाएंआपका बहुत-बहुत आभार। यह जानकर बहुत ख़ुशी हुई। हार्दिक धन्यवाद। सादर।
जवाब देंहटाएंसामयिक , सार्थक सृजन । सच में प्रकृति के आगे हम कितने विवश हैं ।
जवाब देंहटाएंब्लॉग पर आने और अपनी बहुमूल्य राय रखने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद। सादर।
हटाएंबेमौसम बरसात में सबसे ज्यादा भारी पड़ती है किसानों पर...अब कुदरत की मार है सहने के अलावा और करें भी क्या...
जवाब देंहटाएंसमसामयिक सटीक एवं सार्थक सृजन।
सही कहा आपने। आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।
हटाएंकृषक जीवन की सच्चाई और परेशानियां वैसे ही हमेशा किसानों को दर्द में रखती हैं,ऊपर से बेमौसम बारिश ने इस बार और तबाह कर दिया । सार्थक लेखन के लिए बहुत शुभकामनाएं वीरेन्द्र जी ।
जवाब देंहटाएंसही बात कही है आपने। आपका बहुत-बहुत आभार।
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