यह चीनी कमाल तो हमें भी ज़रूर करना चाहिए!
दुनिया में बड़े-बड़े चमत्कारी लोग भरे पड़े हैं। चीनी लोग भी उन्हीं में से हैं। चीनी जो कमाल करते हैं उसकी बात ही निराली है। उस कमाल से चीनी मालामाल हो रहे हैं। दुनिया भर में छाए हुए हैं। कोरोना काल में भी चीनी अर्थव्यवस्था मटक-मटक कर चल रही है। इसके उल्टे बाकी दुनिया की अर्थव्यवस्थाएं ज़ोर-ज़ोर से हांफ रही हैं। नहीं-नहीं! ये कोई जादू नहीं करते। बस मेड इन चाइना सामान को दुनिया के कोने-कोने में फेंकने का कमाल करते हैं ये चीनी। घटिया क्वालिटी का सामान हो या बढ़िया क्वालिटी का...इन्होंने हर हाल में अपने सामान को बाकी देशों पर थोपना है। बस यही कमाल हमें भी करना है। हम चीनियों से सामान तो बहुत लेते हैं लेकिन अब वक्त आ गया है कि हम चीनियों जैसा कमाल भी करें। मेड इन चाइना वस्तुओं को रंग मेड इन इंडिया वस्तुओं के सामने फीका करें। हम ऐसा कर सकते हैं! चीनियों ने मेड इन इंडिया पायजामे में बड़ी चतुराई से मेड इन चाइना का नाड़ा डाला है! हमारी पेंट में अपनी जिप चिपका दी। हमारे बच्चों को अपने खिलौने दिलवा दिए। बड़ों की जेब में अपना बनाया फोन हमसे ही रखवा लिया। चीनियों ने ऐसा पुख्ता इंतज़ाम कैसे किए हैं कि कोई बंदा ओवरस्मार्टनस दिखाते हुए किसी दूसरी कंपनी का मोबाइल ले भी ले तो उसे अपने फोन के लिए टैंपर्ड ग्लास, कैमरा लेंस प्रोटेक्टर और मोबाइल कवर चीनियों का ही लेना होगा। उस मोबाइल में चलने वाले ऐप चीनी होंगे। उस मोबाइल से ऑनलाइन खरीदे जाने वाले ज्यादातर आइटम चीनी होंगे। मोबाइल धारक अक्सर उस फोन से बात या चैट करते हुए चीनियों को गरिया रहा होगा कि सालों ने हमारी सीमा पर फौज़ जमा कर रखी है वगैरा-वगैरा! यह कमाल हमें भी करना होगा।
गजब यह भी है कि चीन सामानों की क्वालिटी चमगादड़ के सूप की तरह है जिसे केवल चीनी पसंद करते हैं। बावजूद इसके बाज़ार चीनी सामानों से अटे पड़े हैं! हमारे यहां भी चीनी सामानों की होली जलायी जाती है। सोशल मीडिया पर बाकायदा मेड-इन-चाइना वस्तुओं के ख़िलाफ़ अभियान चलते हैं। भारतीय चीनी सामान न खरीदें इसके लिए जितना ज़ोर लगाया जाता उतने ज़ोर से आसमान में पत्थर फेंक कर उसमें सुराख़ किया जा सकता है। इतनी गालियों और दुत्कार से तो हरे-भरे पेड़ भी सूख जाएं जितनी चीनी सामानों को मिलती हैं। लेकिन इन चीनी सामानों से पीछा नहीं छूटता। हमारे घर के कोने-कोने में कुछ मिले न मिले लेकिन चीनी सामान मिल जाएँगे। चीनी अपने बनाए इंसानी अंजर-पंजर तक लेकर हमारे अस्पतालों के बाहर लाइन लगाकर खड़े हैं कि किसी मरीज़ को जरूरत हो ते ले ले। पहले कोरोना दिया। अब कोरोना वैक्सीन लेकर तैयार हैं। उनके पास सब है। अब तो हाल यह है कि खरीदारी करते हुए भी दाम बाद में पूछते हैं पहले यह जानना पड़ता है कि फलां आइटम चीनी तो नहीं है! इतनी सावधानी पर भी चीनी सामानों की बिक्री पर ग्रहण नहीं लगता! चीनी इतना सब कैसे करते हैं इस पर भेजा फ्राई करना बनता है। यह कमाल हम भारतीयों को भी आना चाहिए। इसलिए सभी भारतीयों को इस चीनी चालाकी पर ज़रूर शोध करना चाहिए! अब चीनियों से सामान की बजाय सबक लिया जाए। उन्हें गालियां देने का मैं बुरा नहीं मानता। लेकिन अब वक्त आ गया है कि गालियों के साथ उन्हें मेड इन इंडिया सामान भी दिया जाए। उनकी गोली का स्वाद उन्हें भी चखाया जाए। जिस दिन ऐसा हो गया कसम से कलेजे को ठंडक मिल जाएगी!
यथार्थ के धरातल पर चिंतनपरक लेख ।
ReplyDeleteजी धन्यवाद मीना जी। सादर।
Deleteबिल्कुल सही 😅 वैसे चीन में चावल की कमी है और भारत में सबसे ज्यादा उत्पादन हुआ है चावल का..!
ReplyDeleteशिवम जी धन्यवाद।
Deleteबहुत सार्थक और महत्व पूर्ण प्रश्न उठाये हैं आपने |हम चीन की आलोचना तो करते हैं | पर कोई यह नहीं बताता कि हमसे बाद में स्वतन्त्र होने पर भी वह हमसे इतना आगे कैसे निकल गया |
ReplyDeleteआलोक जी बिल्कुल सही कहा है आपने। आपका धन्यवाद।
Deleteये काम देशवासी और साकार दोनों को करना होगा ...
ReplyDeleteमिल के किया काम सफल होता है ...
बहुत बहुत सुन्दर
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteबहुत बहुत सुन्दर
ReplyDeleteबिलकुल सही कहा आपने
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 20 जनवरी 2021 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteपम्मी जी..आपका हृदय से आभार। लेकिन भूलवश मैं आ नहीं सका। मैंने आपका कॉमेंट 22 तारीख़ को पढ़ा। आइंदा से मैं ध्यान रखूंगा। सादर।
Deleteबढिया
ReplyDeleteधन्यवाद सर।
Deleteबहुत बहुत सुन्दर
ReplyDeleteनफ़रत या बायकॉट हल नहीं है ! उनसे प्रतिस्पर्द्धा करनी होगी ! अपने को बेहतर करना होगा ! दुनिया का विश्वास जीतना होगा ! और ऐसा होगा भी
ReplyDeleteजी आपसे पूरी तरह सहमत। हमारी असफ़लता का मुख्य कारण प्रतिस्पर्धा का न होना ही है।
Deleteapproval !!! galti ho gayi aa kar
ReplyDeleteकॉमेंट मॉडरेशन हटा दिया सर। सादर।
Deleteसुन्दर
ReplyDeleteआलोक जी आपका हृदय से आभार।
ReplyDeleteअब चीनियों से सामान की जगह सबक लिया जाए । सटीक बात कह दी वीरेन्द्र जी आपने ।
ReplyDeleteजितेंद्र जी धन्यवाद। चीनी सामानों से बाज़ार अटे पड़े हैं। यह तब है जब चीन हमारी सीमा पर गुंडगर्दी दिखा रहा है। हर भारतीय को चाहिए कि वो चीनी सामान से परहेज करे। सादर।
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